नयी दिल्ली, 21 दिसंबर उच्च न्यायालय ने मंगलवार को दिल्ली सरकार से दो शिक्षकों की उस याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें अधिकारियों को कोविड-रोधी टीकाकरण के लिए दबाव नहीं डाले जाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। याचिकाकर्ताओं ने बीमारियों से ग्रसित होने की वजह से टीका लगवाने में असमर्थ होने की दलील दी है।
याचिका पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करने वाली न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की एकल पीठ ने सितंबर और अक्टूबर में जारी सरकारी आदेशों पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। अपने आदेश में सरकार ने शिक्षकों, शिक्षण संस्थानों के अन्य कर्मचारियों, अग्रिम मोर्चा कर्मियों और स्वास्थ्यकर्मियों समेत सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए 15 अक्टूबर तक टीकाकरण सुनिश्चित करने को कहा था।
अलग-अलग सरकारी स्कूलों में तैनात दो शिक्षकों ने याचिका में सवाल उठाया है कि क्या टीकाकरण को अनिवार्य बनाया जा सकता है या नहीं? जबकि इस तरह की कार्रवाई से याचिकाकर्ता या नागरिकों के आजीविका कमाने के अधिकार पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।
याचिका में कहा गया कि सरकार के आदेश के अनुसार, टीकाकरण का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने में विफल रहने वाले कर्मचारियों को 15 अक्टूबर के बाद से अवकाश पर माना जाएगा।
अदालत इस मामले में अब तीन फरवरी को आगे सुनवाई करेगी।
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