संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ शाहीन बाग में लंबे समय से जारी विरोध प्रदर्शन के बीच वहां पर धारा 144 लागू कर दी गई है। मौके पर भारी पुलिसबल तैनात किया गया है। सुरक्षा के लिहाज से प्रशासन ने शाहीन बाग में धारा 144 लागू की है। पुलिस ने सूचना जारी की है कि शाहीन बाग में लोग भीड़ न जुटाएं और प्रदर्शन न करें। आदेश की अवहेलना करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। शाहीन बाग में पिछले ढाई महीने से महिलाएं लगातार धरने पर बैठी हैं और नागरिकता कानून को खत्म करने की मांग कर रही हैं।
पुलिस उपायुक्त (दक्षिणपूर्व) आर पी मीणा ने कहा, ‘‘ हमने यहां एहतियातन भारी पुलिस बल तैनात किया है। दो महिलाकर्मियों की टुकड़ियों समेत 12 टुकड़ियों को शाहीन बाग में तैनात किया गया है। स्थानीय पुलिस के साथ चार पुलिस जिलों के 100 पुलिसकर्मियों को भी तैनात किया गया है।’’ हिंदू सेना ने एक बयान में कहा कि पुलिस ने शाहीन बाग आंदोलन के खिलाफ रविवार के उनके प्रदर्शन को वापस लेने का उन पर दबाव बनाया। जामिया मिल्लिया इस्लामिया के समीप शाहीन बाग संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजी के खिलाफ लोगों के एक वर्ग का 15 दिसंबर से प्रदर्शन स्थल बना हुआ है।
हिंदू सेना ने प्रदर्शन वापस लिया
कालिंदी कुंज रोड खुलवाने की मांग को लेकर हिंदू सेना ने शाहीन बाग में प्रदर्शन करने की घोषणा की थी। दक्षिण-पूर्व डीसीपी और दक्षिण दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के साथ मीटिंग के बाद हिंदू सेना ने धरने की घोषणा को वापस ले लिया था। हिंदू सेना राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने बताया कि दिल्ली में कानून व्यवस्था को देखते हुए प्रदर्शन नहीं करने का फैसला किया गया है। उन्होंने पुलिस पर आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें गैर कानूनी तरीके से गिरफ्तार किया और उसके बाद उन पर विरोध न करने का दबाव बनाया गया।
वार्ताकारों ने सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट न्यायालय को सौंपी थी
संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ शाहीन बाग में जारी प्रदर्शन के मामले में अदालत द्वारा नियुक्त वार्ताकारों ने बीते सोमवार को उच्चतम न्यायालय को सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट सौंपी थी। वार्ताकार नियुक्त की गईं वकील साधना रामचंद्रन ने वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े के साथ न्यायमूर्ति एस. के. पॉल और न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ की पीठ को रिपोर्ट सौंपी थी। पीठ ने कहा था कि वह वार्ताकारों की रिपोर्ट का अध्ययन करेगी और मामले पर आगे की सुनवाई 26 फरवरी को करेगी। पीठ ने कहा था कि वार्ताकारों द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट इस स्तर पर केन्द्र और दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों और याचिकाकर्ताओं से साझा नहीं की जाएगी।