नई दिल्ली: 4 मई को हिंसक भीड़ द्वारा 2 महिलाओं को निर्वस्त्र करने और सार्वजनिक रूप से परेड निकालने का वीडियो वायरल होने के मामले में सोमवार, 31 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। इस मामले में पीड़ित महिलाओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल पेश हुए। सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल ने कहा कि पीड़ित महिलाएं मामले की सीबीआई जांच और मामले को असम स्थानांतरित करने के खिलाफ हैं।
सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमने कभी भी मुकदमे को असम स्थानांतरित करने का अनुरोध नहीं किया है। हमने कहा है कि इस मामले को मणिपुर से बाहर स्थानांतरित किया जाए।
सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह वीडियो सामने आया लेकिन यह एकमात्र घटना नहीं है जहां महिलाओं के साथ मारपीट या उत्पीड़न किया गया है। ऐसी अन्य पीड़ित महिलाएं भी हैं। यह कोई अकेली घटना नहीं है। सीजेआई ने कहा कि हमें महिलाओं के खिलाफ हिंसा के व्यापक मुद्दे को देखने के लिए एक तंत्र भी बनाना होगा। इस तंत्र को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे सभी मामलों का ध्यान रखा जाए। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने यह भी पूछा कि 3 मई के बाद से, जब मणिपुर में हिंसा शुरू हुई थी, ऐसी कितनी एफआईआर दर्ज की गई हैं।
बता दें कि सुनवाई करने वाले बेंच में चीफ जस्टिस के साथ जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं। यह शर्मनाक घटना 4 मई को यह घटना बी फीनोम गांव में हुई थी। केस में दर्ज एफआईआर से पता चलता है कि बी फिनोम गांव के प्रधान ने हमलावरों की पहचान मैतेई समूहों के लोगों के रूप में की है और आरोप है कि हिंसक भीड़ ने तीन कुकी महिलाओं को जबरन निर्वस्त्र करके उन्हें नग्न घुमाया और उनमें से एक के साथ गैंग रेप भी किया गया। भीड़ ने इस सारी वारदात को उस वक्त अंजाम दिया, जब पुलिस टीम महिलाओं को अपने हिरासत में लेकर सुरक्षित स्थान पर जा रही थी।