Hathras Stampede:उत्तर प्रदेश में 2 जुलाई को हुए हाथरस कांड को लेकर विशेष जांच टीम (एसआईटी) द्वारा 9 जुलाई को सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने सवाल उठा दिया है। हाथरस में नारायण साकार हरि भोले बाबा के सत्संग के हुई भगदड़ से 121 लोगों की मौत हो गई थी।
एसआईटी की जांच रिपोर्ट में भोले बाबा के सत्संग के हुई भगदड़ के लिए सत्संग के आयोजकों और कुछ अफसरों को दोषी ठहराया गया है। इस रिपोर्ट के आधार पर योगी सरकार ने एसडीएम सहित छह अधिकारियों को निलंबित करने का फैसला 9 जुलाई को लिया था। बुधवार को बसपा सुप्रीमो मायावती ने एसआईटी की रिपोर्ट पर सवाल खड़े करते हुए इसे राजनीति से प्रेरित बताया है।
मायावती का यह भी माना है कि भोले बाबा की भूमिका के संबंध में एसआईटी की खामोशी भी लोगों में चिंता का कारण है। साथ ही भोले बाबा के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने के बजाय उसे क्लीनचित दें का प्रस खासा चर्चा का विषय है। बसपा सुप्रीमो मायावती द्वारा बुधवार को किए गए इस ट्वीट के चलते हाथरस सत्संग कांड को लेकर एसआईटी की जांच रिपोर्ट को लेकर योगी सरकार द्वारा की गई कार्रवाई पर सवालिया निशान लग गया है।
बसपा नेताओं का कहना है कि सूबे की सरकार एसआईटी रिपोर्ट के जरिए हाथरस सत्संग कांड के मुख्य आयोजक नारायण साकार हरि भोले बाबा को बचाने में लगी है। इसके लिए छोटे अधिकारी और कुछ आयोजकों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही हैं। मायावती ने अपने ट्वीट में कुछ ऐसा ही लिखा है।
मायावती के अनुसार, हाथरस सत्संग कांड में 121 निर्दोष महिलाओं व बच्चों आदि की दर्दनाक मौत सरकारी लापरवाही का जीता-जागता प्रमाण। इसके बाद भी इस अति-जानलेवा घटना के मुख्य आयोजक भोले बाबा की भूमिका के संबंध में एसआईटी की खामोशी भी लोगों में चिंताओं का कारण है। एसआईटी द्वारा भोले बाबा के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई के बजाय उसे क्लीनचिट देने का प्रयास खासा चर्चा का विषय है।
सरकार जरूर ध्यान दे ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। मायावती का मत है कि एसआईटी द्वारा सरकार को पेश रिपोर्ट घटना की गंभीरता के हिसाब से नहीं होकर राजनीति से प्रेरित ज्यादा लगती है, यह अति-दुखद।
कांग्रेस ने एसआईटी रिपोर्ट पर खड़ा किया था सवाल
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने भी मंगलवार को हाथरस हादसे को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा गठित की गई एसआईटी को रिपोर्ट को लिपा पोती की रिपोर्ट बताया था। अजय राय का कहना था कि पूरी एसआईटी रिपोर्ट एक धोखा है।
इस रिपोर्ट के जरिए प्रदेश सरकार बड़े अधिकारियों और मुख्य आरोपियों को बचाने का दुर्भाग्यपूर्ण प्रयास कर रही है। जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हाथरस कांड की निष्पक्ष जांच कराकर कठोरतम कार्यवाही कर एक नजीर स्थापित करना चाहिए। अजय राय ने कहा है कि अगर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही नहीं हुई तो कांग्रेस पार्टी पीड़ित परिवारों को इंसाफ दिलाने सड़़क पर उतरकर संघर्ष करेगी।
एसआईटी ने आयोजकों को बताया था दोषी
हाथरस कांड को लेकर एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में सत्संग आयोजकों को दोषी बताया था। एसआईटी का कहना था कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आयोजकों ने उचित व्यवस्था नहीं की। आयोजकों ने तथ्यों को छिपाकर कार्यक्रम की इजाजत हासिल करने में कामयाबी पाई। एसआईटी ने इस भगदड़ के पीछे किसी बड़ी साजिश से इनकार नहीं किया और मामले की गहन जांच की जरूरत बताई है।
एसआईटी की इस रिपोर्ट के आधार पर यूपी सरकार ने स्थानीय सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम), एक सर्किल अधिकारी और चार अन्य को निलंबित कर दिया था। इस संबंध में जारी आदेश में कहा गया था कि स्थानीय एसडीएम, सर्किल अधिकारी, तहसीलदार (राजस्व अधिकारी), इंस्पेक्टर और चौकी प्रभारी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में लापरवाही के दोषी हैं। इसलिए इन्हे निलंबित किया गया है।