हाथरस: उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में कथित गैंगरेप और हत्या मामले की जांच कर रही गृह सचिव भगवान स्वरूप की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (SIT) की समय सीमा को 10 दिन और बढ़ा दिया गया है। हाथरस कांड की प्रारंभिक छानबीन के लिए गठित एसआईटी बुधवार को अपनी रिपोर्ट सौंपना था, लेकिन जांच का दायरा बढ़ने की वजह से प्रमुख सचिव गृह ने 10 दिन का और वक्त दिया है।
प्रदेश सरकार ने गृह सचिव भगवान स्वरूप की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी। एसआईटी द्वारा प्रारंभिक रिपोर्ट सौंपने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाथरस के एसपी, सीओ समेत पांच पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया था। एसआईटी को जांच के लिए सात दिन दिए गए थे। एसआईटी को अब अपनी छानबीन पूरी करने के लिए 10 दिन का समय बढ़ाया गया है।
पीड़िता के भाई और आरोपी के बीच 100 से ज्यादा बार हुई फोन पर बात
बताया जा रहा है कि पीड़िता के परिवार और मुख्य आरोपी संदीप के बीच पुरानी जान-पहचान थी। पुलिस के मुताबिक, जांच में पता चला है कि संदीप को पीड़िता के भाई के नाम से एक नंबर से नियमित कॉल आए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीड़िता के भाई के नंबर 989xxxxx और संदीप के 76186xxxxx के बीच 13 अक्टूबर, 2019 से टेलीफोनिक बातचीत शुरू हुई। अधिकांश कॉल चंदपा क्षेत्र में स्थित और सेल टॉवरों से किए गए थे, जो पीड़िता के गांव बूलगढ़ी से बमुश्किल 2 किमी दूर थे।
पीड़िता के भाई और घटना के मुख्य आरोपित संदीप सिंह की कॉल डिटेल सामने आने के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं। रिकार्ड्स में यह भी सामने आया है कि युवती के भाई के नंबर से आरोपित संदीप सिंह के नंबर पर 62 बार और संदीप के नंबर से युवती के भाई के मोबाइल पर 42 बार काल की गई।
क्या है हाथरस कांड का पूरा मामला?
हाथरस की घटना 14 सितंबर को हुई थी, जब पीड़िता एक खेत में काम कर रही थी। जब उसे आरोपी ने पास के खेत में खींच लिया था और उसके साथ मारपीट की गई थी। परिवार का आरोप है कि उसके साथ गैंगरेप किया गया और उसका गला घोंटा गया। इसके चलते उसे गर्दन की हड्डियों और रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोटों के साथ अलीगढ़ के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में उसे दिल्ली के एक अस्पताल में भेजा गया, जहां 29 सितंबर को उसकी मृत्यु हो गई। इस केस में 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। जिसमें संदीप भी शामिल है। वहीं, पीड़िता का रात में दाह संस्कार कराने को लेकर प्रशासन निशाने पर था।