हरियाणा उपचुनाव: फिर से हारे ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त, कांग्रेस प्रत्याशी ने दी इतने हजार वोट से मात
By राजेन्द्र सिंह गुसाईं | Updated: November 10, 2020 16:51 IST2020-11-10T14:51:19+5:302020-11-10T16:51:46+5:30
2019 में हुए विधानसभा चुनाव में 90 में से 40 विधानसभा सीटें भाजपा ने जीती थीं और बाद में जेजेपी के समर्थन से राज्य में सरकार बनाई थी...

योगेश्वर दत्त की कुश्ती में मिली उपलब्धियों को प्रचार का अहम प्वाइंट बनाया गया था।
ओलंपिक पदक विजेता पहलवान योगेश्वर दत्त एक बार फिर चुनाव हार गए हैं। हरियाणा की बरोदा विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार को कांग्रेस प्रत्याशी से हार का सामना करना पड़ा।
दूसरी बार करना पड़ा हार का सामना
यह दूसरी बार है जब ओलंपियन पहलवान दत्त को इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस उम्मीदवार कृष्णा हुड्डा ने 2019 के विधानसभा चुनाव में दत्त को लगभग 4,800 मतों से हराया था।
कांग्रेस उम्मीदवार इंदु राज ने योगेश्वर को 12, 300 वोटों से मात दी। इंदु राज को 45,779 वोटों के साथ जीत मिली, जबकि योगेश्वर दत्त को 37,948 वोट मिले हैं।
बरोदा की जनता ने किसान-मजदूर विरोधी ताकतों को अपने फैसले से करारा जवाब दिया है।
— Kumari Selja (@kumari_selja) November 10, 2020
भाई इंदुराज नरवाल की जीत किसानों और मजदूरों की जीत है।
बरोदावासियों को मैं विश्वास दिलाती हूँ कांग्रेस पार्टी आपके विश्वास पर खरी उतरेगी।#BarodaByElectionResult#BarodaBypoll
हरियाणा कांग्रेस प्रमुख कुमारी सैलजा ने कहा कि बरोदा के लोगों ने ‘‘किसान विरोधी’’ और ‘‘श्रमिक विरोधी ताकतों’’ को ‘‘करारा जवाब’’ दिया है। सैलजा ने ट्वीट किया, ‘‘इंदु राज नरवाल की जीत किसानों और श्रमिकों की जीत है। मैं बरोदा के निवासियों को विश्वास दिलाती हूं कि कांग्रेस उनकी उम्मीदों पर खरा उतरेगी।’’
कृष्ण हुड्डा के निधन के बाद खाली हुई थी सीट
बरोदा विधानसभा सीट अप्रैल में कांग्रेस विधायक श्री कृष्ण हुड्डा के निधन की वजह से खाली हुई थी। वह इस सीट से 2009, 2014 और 2019 में तीन बार चुनाव जीते थे। इस सीट पर तीन नवंबर को 68.57 प्रतिशत मतदान हुआ था, जहां 14 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे थे।
भाजपा-कांग्रेस के बीच था सीधा मुकाबला
बरोदा उपचुनाव भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधे मुकाबले के तौर पर देखा जा रहा था, जहां सत्तारूढ़ भाजपा बरोदा सीट को जीतना चाहती थी, तो वहीं कांग्रेस इसे बचाने में लगी थी।
नेशनल लोकदल के लिए उपचुनाव अहम
यह उपचुनाव इंडियन नेशनल लोकदल के लिए भी अहम है, क्योंकि पार्टी 2019 के विधानसभा चुनाव में 90 में से एक सीट जीत पाई थी। भाजपा ने पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में विधानसभा की 90 सीटों में से 40 पर जीत दर्ज की थी और बाद में दुष्यंत चौटाला की जजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। जजपा ने 10 सीटे जीतें थीं।