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धर्मांतरण रोधी विधेयक पास करने वाला 11वां राज्य बना हरियाणा, आरोपी को साबित करनी होगी बेगुनाही

By विशाल कुमार | Updated: March 23, 2022 08:20 IST

इसी तरह के विधेयक हाल में भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात और अरुणाचल प्रदेश में पारित किये गए थे। इसके साथ ही ऐसा ही कानून छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड में भी लागू किया गया है।

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ठळक मुद्देविधानसभा में चार मार्च को पेश किया गया यह विधेयक मंगलवार को चर्चा के लिए लाया गया। ऐसा विधेयक पास करने वाला हरियाणा 11वां राज्य बन गया है।कांग्रेस ने विधेयक पर विरोध जताया और सदन से वॉकआउट किया।

चंडीगढ़:हरियाणा विधानसभा ने बल, अनुचित प्रभाव अथवा लालच के जरिए धर्मांतरण कराने के खिलाफ एक विधेयक मंगलवार को पारित किया। ऐसा विधेयक पास करने वाला हरियाणा 11वां राज्य बन गया है। कांग्रेस ने विधेयक पर विरोध जताया और सदन से वॉकआउट किया।

विधानसभा में चार मार्च को पेश किया गया यह विधेयक मंगलवार को चर्चा के लिए लाया गया। इसके मुताबिक, साक्ष्य पेश करने की जिम्मेदारी आरोपी की होगी।

इसी तरह के विधेयक हाल में भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात और अरुणाचल प्रदेश में पारित किये गए थे। इसके साथ ही ऐसा ही कानून छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड में भी लागू किया गया है।

हरियाणा गैर-कानूनी धर्मांतरण रोकथाम विधेयक, 2022 के मुताबिक, डिजिटल माध्यम का उपयोग समेत अगर लालच, बल या धोखाधड़ी के जरिए धर्म परिर्वतन किया जाता है तो एक से पांच साल की सजा और कम से कम एक लाख रुपये के जुर्माना का प्रावधान है।

इसके मुताबिक, शादी के इरादे से अपना धर्म छुपाने पर कम से कम तीन साल की सजा का प्रावधान है जोकि बढ़ाकर 10 साल तक की जा सकती है। इस तरह शादी करने का दोषी पाये जाने वाले को कम से कम तीन लाख रुपये का जुर्माना भुगतना होगा।

विधेयक के मुताबिक, सामूहिक धर्मांतरण की सूरत में कम से कम पांच साल की सजा होगी जो कि बढ़ाकर 10 साल तक की जा सकती है तथा कम से कम चार लाख का जुर्माना किया जाएगा।

विधेयक के मुताबिक, जो भी एक नाबालिग या एक महिला अथवा अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति का धर्म परिवर्तन करता है या इसका प्रयास करता है तो उसे कम से कम चार साल जेल का सजा मिलेगी, जिसे बढ़ाकर 10 साल और कम से कम तीन लाख रुपये का जुर्माना किया जा सकता है।

चर्चा के दौरान करीब एक घंटे तक सत्ता पक्ष और कांग्रेस के बीच तीखी नोकझोंक भी देखने को मिली। इसके बाद कांग्रेस सदस्यों ने वॉकआउट किया और उनकी अनुपस्थिति में विधेयक पारित किया गया।

इससे पहले, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सदन में कहा, ''अगर कोई अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन करता है तो हमें कोई दिक्क्त नहीं है। लेकिन, अगर लालच, बल या धमकाकर ऐसा किया जाता है तो दिक्कत की बात है।''

उन्होंने कहा, '' हमारे कांग्रेस के मित्र भी अपने दिलों में इस बात को महसूस करते हैं लेकिन हर हाल में उन्हें विरोध करना है। आज भी, कांग्रेस के हमारे मित्रों ने गलत को गलत और सही को सही कहने का साहस नहीं दिखाया।''

वहीं, नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि मौजूदा कानूनों में ही जबरन धर्मांतरण कराए जाने पर सजा का प्रावधान है, ऐसे में एक नया कानून लाए जाने की कोई जरूरत नहीं थी।

कांग्रेस की वरिष्ठ नेता किरण चौधरी ने कहा, ''मुझे लगता है कि यह हरियाणा के इतिहास में एक काला अध्याय होगा। जबरन धर्मांतरण पर सजा के प्रावधान वाला कानून पहले ही मौजूद है।''

उन्होंने कहा, '' यह विधेयक सांप्रदायिक बंटवारे को और बढ़ाएगे, यह विधेयक डरावना है। इसके भविष्य में गंभीर परिणाम हो सकते हैं। जिस तरह इस विधेयक को लाया गया, हमने उस पर आपत्ति जताई है।''

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रघुवीर सिंह कादियान ने कहा, '' इस विधेयक को लाने की इतनी कोई जल्दी नहीं थी। इस विधेयक में विभाजनकारी राजनीति की बू आ रही है जोकि अच्छा नहीं है।''

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