अहमदाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह प्रदेश गुजरात से खबर आ रही है कि वहां पर भाजपा विधायकों के बीच अपनी ही सरकार के खिलाफ असंतोष व्याप्त है और पार्टी अंर्तरकलह से जूझ रही है। बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा इन आरोपों से जूझ रही है कि उसके कुछ नेताओं ने अपनी ही पार्टी के उम्मीदवारों के खिलाफ काम किया है। वहीं कई बीजेपी विधायकों ने पत्र के जरिए अपनी ही सरकार की व्यवस्था की खुलकर आलोचना की है।
समाचार वेबसाइट 'द न्यू इंडियन एक्सप्रेस' को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पार्टी ने भीतरखाने मची कलह पर कड़ा एक्शन लिया है और अब अपने नेताओं को एक निर्देश जारी किया है कि उन्हें सार्वजनिक कार्यों के संबंध में पत्र लिखने की अनुमति है, लेकिन उन्हें पत्रों को सोशल मीडिया पर वायरल करने से बचना होगा।
बताया जा रहा है कि पिछले 15 दिनों में बीजेपी के तीन अलग-अलग विधायक और पार्टी के एक शहर अध्यक्ष अपनी ही सरकार की व्यवस्था को लेकर चिंता जता चुके हैं। इसने महत्वपूर्ण राजनीतिक चर्चा छेड़ दी है और कई लोगों ने सवाल उठा रहे हैं कि भाजपा प्रतिनिधि अपने प्रशासन के खिलाफ मुद्दे क्यों उठा रहे हैं।
सूरत के वराछा से विधायक कुमार कनानी ने बताया कि कलेक्टर कार्यालय में एजेंट जाति प्रमाण पत्र प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए रिश्वत की मांग कर रहे थे। इस बीच जूनागढ़ के विधायक संजय कोर्डिया ने शिकायत की कि सरकारी अधिकारी एक स्थानीय झील के सौंदर्यीकरण के काम के दौरान उनके प्रयासों की अनदेखी कर रहे थे और उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा है।
इसके अलावा महुधा विधायक संजय सिंह महिदा ने तालुका विकास अधिकारी पर कदाचार का आरोप लगाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्होंने प्राथमिक विद्यालय के लिए निम्न गुणवत्ता वाले वाटर कूलर और अन्य उपकरण खरीदे। इसके अलावा भावनगर जिले के गरियाधर शहर के भाजपा अध्यक्ष ने एक पत्र लिखकर शिकायत की कि मुख्य अधिकारी और नगर पालिका अधिकारी केवल आम आदमी पार्टी विधायक की बात सुन रहे थे।
सूत्रों का दावा है कि सरकारी तंत्र में लापरवाही और भ्रष्ट अधिकारियों को लेकर बीजेपी विधायकों और नेताओं के पत्रों से सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार की छवि खराब हो रही है। नतीजतन, भाजपा विधायकों से सतर्क रहने का आग्रह किया गया है, यह सुनिश्चित करते हुए कि जब वे अपनी बात रख सकते हैं, तो वे यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके पत्र सोशल मीडिया पर वायरल न हों।
सूत्र बताते हैं कि इस लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के अंदर काफी अंदरूनी कलह देखने को मिलीष परिणामस्वरूप, कुछ भाजपा नेताओं ने या तो पार्टी के खिलाफ काम किया या कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में निष्क्रिय रहे। कथित तौर पर बनासकांठा, वडोदरा, पोरबंदर, पाटन, अमरेली, आनंद और साबरकांठा सहित सीटों पर कुछ भाजपा नेता निष्क्रिय थे जबकि अन्य पार्टी विरोधी गतिविधियों में लगे हुए थे।