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Gopalganj seat LS polls 2024: तीन-तीन मुख्यमंत्री देने वाला गोपालगंज विकास से है कोसों दूर, गंडक, गन्ना और गुंडा से रूबरू होते हैं लोग!, जानें इतिहास और समीकरण

By एस पी सिन्हा | Updated: March 20, 2024 15:18 IST

Gopalganj seat LS polls 2024: थावे दुर्गा मंदिर आज भी हिंदू आस्था का बड़ा शक्ति केंद्र है। यहां देवी को सिंहासिनी भवानी, थावे भवानी और रहषु भवानी के नाम से लोग पुकारते हैं।

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ठळक मुद्दे80 के बाद किसी भी उम्मीदवार को जनता ने दोबारा संसद नहीं भेजा।2009 से यह सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित कर दिया गया है। 1952 में पहली बार हुए लोकसभा चुनावों के दौरान इस निर्वाचन क्षेत्र का गठन किया गया था।

Gopalganj seat LS polls 2024: बिहार की गोपालगंज लोकसभा सीट की बात आती है तो राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की चर्चा जरूर होती है। दरअसल, गोपालगंजलालू प्रसाद यादव का गृह जिला है। उनकी पत्नी राबड़ी देवी भी गोपालगंज जिले की रहने वाली हैं। इसलिए यह सीट राजद के लिए कुछ ज्यादा ही खास हो जाती है। गोपालगंज लोकसभा सीट एक ऐसा सीट जो कभी कांग्रेस तो कभी लालू की पार्टी का गढ़ बना रहा फिर इस सीट पर भाजपा ने कब्जा जमाया। इस सीट का सियासी रंग काफी दिलचस्प रहा है। इस सीट पर एक बात साफ देखी गई कि जब इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के लिए सहानुभूति की लहर पूरे देश में दौड़ रही थी तब भी यह सीट कांग्रेस बचा नहीं पाई थी। इस सीट पर 80 के बाद किसी भी उम्मीदवार को जनता ने दोबारा संसद नहीं भेजा।

इस क्षेत्र में विकास की तो रौशनी अभी भी नहीं पहुंची है जबकि इसने तीन-तीन मुख्यमंत्री दिए हैं। हां गंडक, गन्ना और गुंडा जैसी समस्याओं का यह क्षेत्र जरूर रहा है। इस जिले की सीमा उत्तर प्रदेश से लगती है। यहां का थावे दुर्गा मंदिर आज भी हिंदू आस्था का बड़ा शक्ति केंद्र है। यहां देवी को सिंहासिनी भवानी, थावे भवानी और रहषु भवानी के नाम से लोग पुकारते हैं।

1980 में कांग्रेस के नगीना राय सांसद बने

2009 से यह सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित कर दिया गया है। पूर्व में यह क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा। देश के लिए 1952 में पहली बार हुए लोकसभा चुनावों के दौरान इस निर्वाचन क्षेत्र का गठन किया गया था। यहां वर्ष 1962 से 1977 तक लगातार चार बार कांग्रेस के द्वारिकानाथ तिवारी सांसद चुने गए। 1980 में कांग्रेस के नगीना राय सांसद बने।

डॉ आलोक कुमार सुमन सांसद हैं

इस सीट में पहली बार 1996 में राजद के सांसद की जीत हुई थी। 1996 में राजद प्रत्याशी लाल बाबू यादव ने कांग्रेस उम्मीदवार काली पांडेय को हराया था। 2009 में जदयू के पूर्णमासी राम सांसद चुने गए। मोदी लहर में 2014 में पहली बार भाजपा के जनक राम सांसद चुने गए। यह सीट 2019 में भाजपा ने अपने गठबंधन सहयोगी जदयू को लड़ने के लिए दी थी और यहां से डॉ आलोक कुमार सुमन सांसद हैं।

गोपालगंज लोकसभा सीट को भी 6 विधानसभा बैकुंठपुर, बरौली, गोपालगंज, कुचायकोट, भोरे, हथुआ को मिलाकर बनाया गया है।इस सीट का जातीय समीकरण देखें तो यहां यादव, ब्राह्मण, मुस्लिम, कुर्मी, भूमिहार, कुशवाहा, वैश्य और महादलित आबादी बसती है और चुनावओं में इन सब का दबदबा रहता है।

नए मतदाताओं की संख्या 22988

यहां का चुनाव कभी स्थानीय मुद्दों पर नहीं लड़ा गया नहीं तो इस क्षेत्र का विकास इतनी द्रुत गति से नहीं होता। गोपालगंज बिहार को तीन मुख्यमंत्री देने वाला जिला है। यहां से लालू यादव और राबड़ी देवी के अलावे पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर भी इसी जिले से आते थे। यहां कुल मतदाता- 18,32,200 हैं, जिनमें पुरुष- 9,36,334, महिला- 8,95,757, थर्ड जेंडर- 79 और नए मतदाताओं की संख्या 22,988 हैं।

यहां बेरोजगारी, बंद हथुआ चीनी मिल को चालू कराने की मांग और सिंचाई के अपर्याप्त साधन प्रमुख स्थानीय मुद्दे हैं। यह क्षेत्र गंडक नदी के किनारे पर स्थित है। इस इलाके की सीमाएं चम्पारण, सिवान जिले के साथ ही उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले से जुड़ती हैं। कई छोटी बड़ी नदियों से घिरे होने के कारण यह क्षेत्र बेहद उपजाऊ है। यहां गन्‍ना उत्‍पादन सबसे ज्यादा होता है।

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