भारत के विदेश राज्य मंत्री जनवल वीके सिंह रविवार (एक अप्रैल) को इस्लामिक स्टेट के हाथों मारे गये 38 भारतीयों के अवशेष लाने के लिए इराक रवाना हो गए हैं। जनरल सिंह सी-17 विमान से इराक जा रहे हैं। जनरल सिंह सोमवार या मंगलवार तक भारत वापस आ सकते हैं। विदेश राज्य मंत्री सिंह ने शनिवार को मीडिया को बताया था कि मारे गये भारतीयों के मृतकों के परिजनों को अवशेष लेने के लिए हवाईअड्डे नहीं लाना होगा। मृतकों के अवशेष परिजनों तक पहुँचाए जाएंगे। मृतकों के अवशेष सौंपने के लिए जनरल सिंह सबसे पहले अमृतसर फिर पटना और कोलकाता जाएंगे। आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ने साल 2015 में इराक में काम करने वाले 40 भारतीयों को बंधक बना लिया था। भारतीय बंधको में से एक जान बचाकर भागने में सफल रहा बाकि 39 की आतंकवादियों ने हत्या कर दी।
डीएनए टेस्ट से 38 भारतीयों के शवों की पहचान हो चुकी है। 39वें भारतीय के शव की पहचान अभी बाकी है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद के बज़ट सत्र के उत्तरार्ध में राज्य सभा में जानकारी दी थी कि मोसुल में इस्लामिक स्टटे द्वारा बंधक बनाए गये 39 भारतीयों की मौत हो चुकी है। विदेश मंत्री स्वराज ने बताया कि डीएनए टेस्ट के बाद 39 भारतीयों के मारे जाने की पुष्टि हुई। वहीं मृतकों के कुछ परिजनों ने नरेंद्र मोदी सरकार पर मृतकों की स्थिति के बारे में झूठ बोलने का आरोप लगाया। मृतकों के परिजनों का आरोप था कि मोदी सरकार ने पिछले तीन सालों में कई बार कहा कि इराक में फँसे हुए सभी भारतीय सुरक्षित हैं।
सुषमा स्वराज ने राज्य सभा में जानकारी दी थी कि इराक के बदूश में एक टीले में शवों के होने की सूचना मिलने के बाद जब उसकी जाँच हुई तो वहाँ बहुत बड़ी संख्या में दफनाए गए शव मिले। इन शवों में ही उन भारतीयों के शव भी थे जिन्हें इस्लामिक स्टेट ने बंधक बनाया था। इराक के एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस अखबार को बताया था कि सभी 39 भारतीयों के शवों को बगदाद के फोरेसिंक साइंस विभाग के मेडिको लीगल इंस्टीट्यूट के मुर्दाघर में एक फ्रीजर में रखा गया है।
सुषमा स्वराज द्वारा सभी भारतीयों के मारे जाने की जानकारी देने के बाद उनके परिजनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी। नीचे पढ़ें मृतकों के कुछ परिजनों का मीडिया को दिया बयान।
पढ़ें मृतकों के परिजनों ने क्या कहा-
- इराक में मारे गए सुरजित कुमार की पत्नी ने कहा, मेरे पति 2013 में इराक गए थे और वह 2014 से लापता हैं। हमने सरकार से कोई डिमांड नहीं की। मेरा एक छोटा बच्चा है और सरकार से मुझे कोई सहायता नहीं मिली है।
- पति दविंदर सिंह की मौत की पुष्टि पर पत्नी मंजीत कौर रोते हुए बोलीं, 'मेरे पति 2011 में इराक गए थे और मेरी उनसे आखिरी बार बात 15 जून 2014 को हुई थी। सरकार ने हमें हमेशा यही कहा कि वह जिंदा हैं। हमारी सरकार से कोई मांग नहीं है।
- बिहार के इराक में मारे गए विद्या भूषण तिवारी के चाचा का कहना है, मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं क्या कहूं। मैं चार सालों से सरकार से यही मांग कर रहा हूं कि मेरे भतीजे को कैसे भी कर वापस बुलाया जाए लेकिन इस पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है और अचानक इस तरह की खबर आई है कि वह जिंदा नहीं है।
- इराक में मारे गए राजेश चंदन के पिता का कहना है कि मेरा बेटा 2013 में इराक गया और वह हर शुक्रवार हमसे फोन पर बात करता था। हमने सरकार से क्या मांगा था कुछ नहीं, हमने तो उसे पहले ही खो दिया था। राजेश चंदन हिमाचल प्रदेश के रहने वाले थे।
- इराक से एक भारतीय हरजीत मसीह जो किसी तरह बचकर भारत लौट आया था, उसका कहना था कि मैंने सरकार को पहले ही सच्चाई बता दी कि 39 लोग मारे गए हैं। सरकार ने 39 परिवार वालों को गुमाराह किया है।
- इस मामले में जालंधर से मारे गए मृतक के एक भाई ने कहा कि मुझे इस बारे में जानकारी तो थी लेकिन यह कब, कैसे हुआ इसकी कोई सूचना नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि इस मामेल में मेरा दो बार DNA सैंपल भी लिया गया था।
- इस मामले में मारे गए गुर्चन सिंह की पत्नी हरजीत कौर ने कहा है कि वह 2013-14 में मेरे पति इराक से मोसुल के लिए गए थे। सरकार मुझसे हमेशा यही कहती रही कि मेरे पति जिंदा है। मुझे इस खबर के बाद यह भी समझ नहीं आ रहा है कि मैं क्या करूं।