जम्मूः एक साल तक नजरबंद रखने के बावजूद प्रदेश प्रशासन आज भी पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की प्रसिद्धि और ‘ताकत’ से ‘खौफजदा’ है!
यही कारण है कि वह उनके हर उस दौरे को रोकने का प्रयास तभी से कर रहा है जबसे उन्हें 14 महीनों की नजरबंदगी से रिहा किया गया है। ताजा घटनाक्रम में तो उन्हें एक सप्ताह में तीसरी बार नजरबंदगी का सामना करना पड़ा है। प्रशासन की इन कार्रवाइयों से गुस्साई पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राज्य प्रशासन और भारतीय जनता पार्टी पर हमला भी बोला है।
उन्होंने कहा कि एक पखवाड़े से कम समय में आज तीसरी बार मुझे हिरासत में लिया गया है। वास्तव में अगर सुरक्षा चिंताओं के कारण मेरे आंदोलनों पर अंकुश लगाया जाता है तो भाजपा के मंत्रियों को कश्मीर में स्वतंत्र रूप से प्रचार करने की अनुमति क्यों दी जाती है।
महबूबा मुफ्ती को बडगाम दौरे के लिए पुलिस ने घर से नहीं निकलने दिया
इससे पहले मंगलवार को पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को बडगाम दौरे के लिए पुलिस ने घर से नहीं निकलने दिया। गुपकार स्थित उनके आवास पर सुबह ही पुलिस और सीआरपीएफ को तैनात कर दिया गया। महबूबा की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने आरोप लगाया कि उनकी मां को एक बार फिर नजरबंद कर दिया गया है। कहा कि अगर हमारे लिए माहौल ठीक नहीं तो ऐसे में चुनाव क्यों करवाए जा रहे हैं।
इल्तिजा ने कहा कि पुलिस ने मंगलवार को एक बार फिर से घर के मेन गेट पर ताला लगा दिया। महबूबा मुफ्ती बडगाम जाना चाहती थीं जहां कुछ गांवों से गुज्जर समुदाय के लोगों को निकाला गया है। इनमें जब्बाड, जिलीसीदारा, ड्रानबल और कनिदजन जैसे गांव हैं। वह वहां जाकर उन परिवारों से मिलना चाहती थीं जिनके घर इस कड़ाके की ठंड में तोड़े जा रहे हैं, लेकिन पुलिस ने उन्हें घर से नहीं निकलने दिया।
पुलिस से अनुमति मांगने के सवाल पर उन्होंने कहा कि महबूबा मुफ्ती ने दो दिन पहले ही उन्हें इसकी जानकारी दी थी कि उन्हें बडगाम जाना है और वहां पीड़ित परिवारों से मिलना है। इल्तिजा के मुताबिक जवाब मिला कि इंटेलिजेंस इनपुट है कि माहौल ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि वह नहीं चाहते कि यह सब चीजें हाईलाइट हों और ये लोग चुपचाप इन गरीब परिवारों को निकालते जाएं। बता दें कि इससे पहले भी महबूबा मुफ्ती अनंतनाग जिले में उन इलाकों में गुज्जर समुदाय के लोगों से मिलने गई थीं, जहां से वन विभाग ने उन्हें जगह खाली करने को कहा है।
जानकारी के लिए अक्तूबर की 13 तारीख को महबूबा मुफ्ती को 14 महीनों की नजरबंदगी के उपरांत रिहा किया गया था। जबकि अन्य राजनीतिज्ञों को सबसे पहले रिहा कर दिया गया था। राजनीतिक पंडितों के अनुसार, आज भी प्रशासन महबूबा को ‘शांति के लिए खतरा’ मानता है। यही कारण है कि वह उनकी रिहाई से नाखुश है।