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योगी राज में बना रिकॉर्ड, 30 साल में पहली बार यूपी बोर्ड परीक्षाओं में कोई पेपर रद्द नहीं हुआ, न ही कोई परीक्षा दोबारा करानी पड़ी

By शिवेंद्र राय | Updated: March 8, 2023 14:59 IST

इस बार परीक्षा को लेकर राज्य सरकार ने कई कड़े कदम उठाए थे जिसमें नकल करने वालों पर रासुका की कार्रवाई से लेकर केंद्र व्यवस्थापकों के खिलाफ एफआईआर तक की कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे। सभी परीक्षा केंद्रों पर लगभग 1.43 लाख परीक्षा कक्षों और परिसर में लगभग तीन लाख वॉयस रिकॉर्डरयुक्त सीसीटीवी कैमरे, डीवीआर राउटर डिवाइस और हाईस्पीड इंटरनेट कनेक्शन की व्यवस्था की गई थी।

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ठळक मुद्देसंपन्न हुईं यूपी बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षाएंमाध्यमिक शिक्षा परिषद का दावा - न तो कोई पेपर रद्द हुआ न ही कोई परीक्षा दोबारा करानी पड़ीमाध्यमिक शिक्षा परिषद का दावा - 30 साल में पहली बार हुआ ऐसा

लखनऊ: यूपी बोर्ड की परीक्षाए इस साल 16 फरवरी को शुरू हुई थीं जो 5 मार्च को सकुशल संपन्न हुई। यूपी में नकल विहीन परीक्षा कराने की सरकार की कोशिश इस बार सफल होती नजर आई। 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं सफल संपन्न होने के बाद माध्यमिक शिक्षा परिषद ने दावा किया है कि पिछले 30 साल में इस बार पहली बार ऐसा हुआ है कि न तो कोई पेपर रद्द हुआ न ही कोई परीक्षा दोबारा करानी पड़ी।

इस बार नकल विहीन परीक्षा संपन्न कारने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने खास इंतजाम किए थे। पहली बार प्रश्नपत्रों को सुरक्षित रखने के लिए स्ट्रांग रूम बनाए गए थे। इसे खोलने और बंद करने की जिम्मेदारी परीक्षा केंद्र पर नियुक्त स्टेटिक मजिस्ट्रेट को दिया गया था। स्टेटिक मजिस्ट्रेट को नामित करने की जिम्मेदारी जिलाधिकारी के पास थी। इतना ही नहीं रात के समय स्ट्रांग रूम की सुरक्षा की निगरानी के लिए गठित की गई 632 टीमों ने प्रदेश के सभी 8753 परीक्षा केंद्रों का कुल 28716 बार निरीक्षण किया। 

यूपी एसटीएफ की मदद से संवेदनशील परीक्षा केंद्रों की मॉनीटरिंग कराई गई थी। लखनऊ में दो राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम से प्रत्येक परीक्षा केंद्र की निगरानी रखी गई तो वहीं 3 लाख कैमरों ने भी नकलविहीन परीक्षाएं संपन्न कराने में अहम योगदान दिया।

इस बार परीक्षा को लेकर राज्य सरकार ने कई कड़े कदम उठाए थे जिसमें नकल करने वालों पर रासुका की कार्रवाई से लेकर केंद्र व्यवस्थापकों के खिलाफ एफआईआर तक की कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे। सभी परीक्षा केंद्रों पर लगभग 1.43 लाख परीक्षा कक्षों और परिसर में लगभग तीन लाख वॉयस रिकॉर्डरयुक्त सीसीटीवी कैमरे, डीवीआर राउटर डिवाइस और हाईस्पीड इंटरनेट कनेक्शन की व्यवस्था की गई थी।

परीक्षाओं के संपादन एवं अनुश्रवण के लिए प्रदेश से सभी 75 जिलों में एक पर्यवेक्षक की नियुक्ति की गई थी जिसे पूरी परीक्षा की समीक्षा करने के बाद शासन को रिपोर्ट देनी थी। 1390 सेक्टर मजिस्ट्रेट, 455 जोनल मजिस्ट्रेट, 521 सचल दल भी तैनात किए गए थे। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 16 जनपद ऐसे हैं जिन्हें अतिसंवेदनशील श्रेणी में रखा गया था। इनमें बलिया, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, चंदौली, जौनपुर, देवरिया, गोंडा, मथुरा, अलीगढ़, मैनपुरी, एटा, बागपत, हरदोई, प्रयागराज और कौशांबी शामिल थे।  

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