यौन शोषण के आरोपों में घिरे नरेंद्र मोदी सरकार के मंत्री एमजे अकबर ने आखिरकार बुधवार को इस्तीफा दे दिया। पूर्व पत्रकार रहे अकबर पर 20 महिलाओं ने यौन शोषण का आरोप लगाया था। एमजे अकबर लगातार खुद पर लगे आरोपों का खंडन कर रहे थे और उन्होंने आरोप लगाने वाली पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ मानहानी का मुकदमा भी दायर कर दिया है। लेकिन, अकबर के इस्तीफे की पांच बड़ी वजहें क्या रहीं, ये हम आपको बताते हैं।
- पार्टी की छवि
एमजे अकबर को लेकर बीजेपी लगातार बैकफुट पर थी। कांग्रेस और विरोधी पार्टियां अकबर के मुद्दे पर बीजेपी को घेरे हुई थीं। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी को इस पूरे केस में पार्टी की छवि खराब होने का डर था। सूत्र ये भी बता रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अकबर पर लग रहे आरोपों को लेकर गंभीर थे। बीते कई दिनों से बीजेपी के तमाम बड़े नेता अकबर पर कोई भी बयान देने से बच रहे थे। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, सुषमा स्वराज, स्मृति ईरानी और संबित पात्रा जैसे बड़े नेता अकबर से जुड़े सवाल पूछने पर कन्नी काटते नज़र आ रहे थे। ऐसे में ये पूरा मामला पार्टी की छवि बिगाड़े वाला बन गया था।
- कांग्रेस से था पुराना नाता
एमजे अकबर के मामले में बीजेपी हमेशा बचती-बचाती नज़र आई। बीजेपी का कोई भी बड़ा नेता अकबर पर लगे आरोपों का बचाव करता नज़र नहीं आया। एमजे अकबर पूर्व पत्रकार थे और एक वक्त राजीव गांधी के बेहद करीबी माने जाते थे। 80 और 90 के दशक में एमजे अकबर का झुकाव कांग्रेस की तरफ था। अकबर एक पत्रकार के नाते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के खिलाफ एक वक्त कई आर्टिकल लिखते थे। लेकिन, बीते 5 सालों से उनका झुकाव बीजेपी की ओर था। माना जा रहा है कि एमजे अकबर को लेकर पार्टी के कई बड़े नेता किनारा करना चाहते थे और इसी वजह से एमजे अकबर पार्टी में अलग-थलग पड़ गए।
- सोशल मीडिया का दबाव
एमजे अकबर को लेकर सोशल मीडिया पर भी काफी कुछ चल रहा था। सोशल मीडिया पर अकबर और बीजेपी को लेकर लोगों में गुस्सा साफतौर पर देखा जा सकता था। ऐसे में बीजेपी के लिए अकबर गले की हड्डी बन चुके थे। इसी वजह से एमजे अकबर को आखिरकार इस्तीफा देना पड़ा।
- महिला पत्रकारों का दबाव
खुद पर आरोप लगते ही अकबर ने इसका खंडन किया। आनन-फानन में अकबर ने सबसे पहले आरोप लगाने वाली महिला पत्रकार प्रिया रामनी के खिलाफ मानहानी का मुकदमा भी कर दिया। लेकिन, अकबर यहां भी फंसते नज़र आ रहे हैं। अकबर के खिलाफ 20 महिला पत्रकारों ने गवाही देने का फैसला किया है। ऐसे में अकबर की मुश्किलें कम नहीं होने वाली।
- पांच राज्यों के चुनाव
नवंबर में पांच राज्यों के चुनाव होने हैं। लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र देखा जाए तो बीजेपी के ये पांच राज्य बेहद महत्वपूर्ण हैं। बीते कुछ हफ्तों से एमजे अकबर का मामला तूल पकड़ता जा रहा था। ऐसे में पार्टी को डर था कि इसका असर कहीं चुनावों पर ना पड़ जाए इसलिए पार्टी ने जल्द से जल्द अकबर को इस्तीफा देने को कहा।