भाजपा के कद्दावर नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली का शनिवार को एम्स में निधन हो गया। वह 66 वर्ष के थे। अस्पताल ने एक संक्षिप्त बयान में बताया कि जेटली ने दोपहर 12 बजकर सात मिनट पर अंतिम सांस ली। उन्होंने कई बड़े फैसले लिए जिनपर खूब हंगामा मचा। लेकिन इन फैसलों ने देश कि दिशा बदलने का काम किया। आइए, जानते हैं जेटली के कुछ बड़े फैसले जिनके लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा।
1. नोटबंदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर 2016 को नोटबंदी का ऐलान किया। उस वक्त अरुण जेटली वित्त मंत्री थे। इस फैसले में 500 और 1000 रुपये के नोट को प्रतिबंधित कर दिया था। सरकार ने इसे कालेधन पर प्रहार बताया था। सरकार का मानना था कि इससे नकली नोटों पर भी लगाम लगेगी। हालांकि विपक्ष ने खूब हंगामा किया। देशभर में भी काफी उथल-पुथल मची लेकिन बतौर वित्तमंत्री जेटली हमेशा इस फैसले के बीच दृढ़ निश्चय के साथ खड़े रहे।
2. गुड्स ऐंड सर्विस टैक्स (जीएसटी)
एक राष्ट्र एक टैक्स के नारे के साथ मोदी सरकार ने जीएसटी का ऐलान किया था। हालांकि इसे लागू करने का फैसला जोखिम भरा था लेकिन वित्त मंत्री रहते हुए अरुण जेटली ने पूरा जोर लगा लिया। कर व्यवस्था पर इस आमूल-चूल बदलाव को सुचारू रूप से लागू करने में अरुण जेटली का बड़ा योगदान है। जीएसटी के तहत अब वस्तुओं एवं सेवाओं पर सिर्फ एक निर्धारित टैक्स देना होता है। इससे पहले कई चरण में टैक्स अदा करना पड़ता था। जीएसटी वित्तीय क्षेत्र में सुधार को लेकर सबसे बड़ा कदम है, जिसे लागू करवाने को लेकर अरुण जेटली को हमेशा याद किया जाएगा।
3. जनधन योजना
जनधन योजना मोदी सरकार के पहले कार्यकाल की महात्वाकांक्षी योजना थी। इसके जरिए करीब 35 करोड़ से ज्यादा लोगों के बैंक खाते खोले गए। इस योजना की सफलता में भी बतौर वित्त मंत्री अरुण जेटली का बड़ा योगदान है।
4. बैंको का एकीकरण
बैंकों का एकीकरण भी अरुण जेटली के महत्वपूर्ण फैसलों में से एक है। इसमें स्टेट बैंक में उसके पांच असोसिएट बैंकों का विलय हो या देना बैंक और विजया बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय। माना जा रहा है कि इस फैसले से बैंकों की सेहत में काफी सुधार हो सकता है।
5. इंसॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड
जेटली के महत्वपूर्ण फैसलों की बात होगी तो इसमें इंसॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड (IBC) का भी शुमार होगा। बीते 2 सालों में इंसॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड के तहत प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष तौर पर करीब 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक कीमत की फंसी हुई संपत्तियों का निस्तारण किया गया है। इसका श्रेय अरुण जेटली को दिया जाना चाहिए।