चेन्नई: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के अध्यक्ष एमके स्टालिन ने गुरुवार को पंजाब के किसानों के विरोध के लिए दिल्ली में उच्च स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था को लेकर केंद्र सरकार की जमकर आलोचना की है।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार सीएम स्टालिन ने 40 निर्वाचन क्षेत्रों में 16 से 18 फरवरी तक चलने वाले 'उरीमैगलाई मीटका स्टालिनिन कुरल' (अधिकारों को पुनः प्राप्त करने के लिए स्टालिन की आवाज) अभियान के संबंध में डीएमके कैडरों को संबोधित एक पत्र में केंद्र के खिलाफ हमला शुरू किया।
सीएम स्टालिन ने अपने पत्र में कहा, "दिल्ली युद्धक्षेत्र में बदल गई है, आखिर इतनी भारी सुरक्षा व्यवस्था क्यों? हमारे देश के किसानों के विरोध को दबाने के लिए केंद्र की भाजपा सरकार ने दिल्ली में युद्धक्षेत्र से भी बदतर स्थिति पैदा कर दी है।"
उन्होंन कहा, "1 साल से अधिक समय तक किसानों के कड़े विरोध के बाद बीजेपी ने तीन कृषि कानून वापस ले लिए लेकिन उन्होंने किसानों की भलाई के लिए योजनाओं की घोषणा नहीं की। उन्होंने किसानों के खिलाफ मामले वापस नहीं लिए। सरकार किसानों पर अत्याचार कर रही है।"
डीएमके प्रमुख ने आगे कहा, "किसानों को रोकने के लिए हथियारों के साथ पुलिस बल तैनात करके, सड़कों को कंटीले तार लगाकर, सड़कों पर जर्सी बैरियर लगाकर और लोहे की कीलों को बिछाकर यह क्या कर रही है सरकार? यहां आतंकवादी कौन है... किसान या सरकार?''
पत्र में स्टालिन ने भारतीय जनता पार्टी और अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) की उनकी नीतियों के लिए आलोचना की और कहा कि वे "लोगों के कल्याण" के खिलाफ हैं।
उन्होंने कहा, "जब भाजपा ने तीन कृषि कानून पेश किए, तो डीएमके ने इसका विरोध किया था, वहीं अन्नाद्रमुक ने मोदी सरकार के उस फैसले का समर्थन किया था और यहां तक कि अन्नाद्रमुक सीएए का भी समर्थन करती है। अन्नाद्रमुक तमिलनाडु में भाजपा के सभी पापों में भागीदार थी। डीएमके कार्यकर्ताओं को भाजपा और अन्नाद्रमुक के लोगों को जनता के सामने बेनकाब करना होगा।"
मालूम हो कि केंद्र सरकार के खिलाफ पंजाब के किसानों का 'दिल्ली चलो' मार्च गुरुवार को तीसरे दिन में प्रवेश कर गया। किसानों की मांग पर चर्चा करने के लिए आज शाम 5 बजे किसान यूनियनों और केंद्र सरकार की बैठक होनी है।
किसानों ने केंद्र सरकार के सामने 12 मांगें रखी हैं, जिन्हें लेकर वे दिल्ली कूच कर रहे हैं। इस बार विरोध प्रदर्शन संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और पंजाब किसान मजदूर संघर्ष समिति द्वारा किसान यूनियन नेताओं जगजीत सिंह दल्लेवाल और सरवन सिंह पंढेर के नेतृत्व में बुलाया गया है।
प्रदर्शनकारी किसानों के अनुसार केंद्र ने उन्हें फसल की बेहतर कीमत देने का वादा किया था, जिसके बाद किसानों ने 2021 का आंदोलन समाप्त किया था। किसान केंद्र सरकार से स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुरूप सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी वाला कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा वो पूर्ण कर्ज माफी और किसानों और खेत मजदूरों को पेंशन प्रदान करने की योजना की भी मांग कर रहे हैं।