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किसान नेताओं की आज केंद्र के अधिकारियों के साथ बैठक, MSP गारंटी समेत कई मुद्दों पर चर्चा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: March 19, 2025 11:57 IST

Farmers Meeting with Government: प्रदर्शनकारी किसान पिछले साल 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं।

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Farmers Meeting with Government: प्रदर्शनकारी किसानों और केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल के बीच बुधवार को यहां नए दौर की वार्ता होगी, जिसमें फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित उनकी विभिन्न मांगों पर चर्चा की जाएगी। बैठक यहां सेक्टर-26 स्थित महात्मा गांधी लोक प्रशासन संस्थान में पूर्वाह्न 11 बजे होगी। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चे का 28 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल बैठक में भाग लेगा।

उन्होंने कहा कि किसानों को उम्मीद है कि सरकार उनके मुद्दों का समाधान करेगी। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा किसानों के आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं। किसानों और केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल के बीच पिछली बैठक 22 फरवरी को यहां हुई थी। बैठक में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल शामिल हुए थे। पिछली बैठक में केंद्रीय टीम ने विशेषज्ञों के साथ चर्चा के लिए फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी को लेकर किसानों से उनके दावों के समर्थन में डेटा मांगा था।

किसानों ने कहा कि एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी 25,000-30,000 करोड़ रुपये प्रति वर्ष के अनुमानित परिव्यय के साथ दी जा सकती है। केंद्रीय मंत्री जोशी के नेतृत्व में 14 फरवरी को एक केंद्रीय टीम और किसानों के प्रतिनिधियों के बीच यहां बैठक हुई। इस बैठक से पहले, फरवरी 2024 में केंद्रीय मंत्रियों और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच चार दौर की बैठकें हुईं, लेकिन बातचीत बेनतीजा रही। प्रदर्शनकारी किसान पिछले साल 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं।

किसान एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के अलावा, कर्ज माफी, किसानों और कृषि मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं, किसानों के खिलाफ पुलिस मामलों को वापस लेने, उत्तर प्रदेश में 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय, भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करने और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं। 

 

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