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एल्गार मामला : जेल में हिरासत की बजाय घर में नजरबंदी की नवलखा की याचिका पर अदालत ने एनआईए से जवाब मांगा

By भाषा | Updated: September 2, 2021 17:44 IST

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महाराष्ट्र सरकार ने बृहस्पतिवार को बंबई उच्च न्यायालय को बताया कि वह जेल में बंद एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले में आरोपी कार्यकर्ता गौतम नवलखा को शुक्रवार को नवी मुंबई के टाटा मेमोरियल अस्पताल में चिकित्सकीय जांच के लिए ले जाएगी। राज्य की अधिवक्ता लोक अभियोजक संगीता शिंदे ने न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एन जे जामदार की पीठ को यह जानकारी दी। इससे पहले आरोपी कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने बृहस्पतिवार को उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर अनुरोध किया कि उन्हें बढ़ती उम्र और बीमारियों के कारण न्यायिक हिरासत के तौर पर घर में नजरबंद किया जाए। अभी वह तलोजा जेल में बंद हैं। इस पर अदालत ने नवलखा को घर में नजरबंद किए जाने के अनुरोध के संबंध में एनआईए से जवाब मांगा। नवलखा (69) ने अपनी याचिका में यह भी अनुरोध किया कि उच्च न्यायालय पड़ोसी नवी मुंबई में तलोजा जेल के प्राधिकारियों को उनकी छाती में बनी एक गांठ के लिए चिकित्सा जांच कराने का निर्देश दें। उनके वकील युग चौधरी और पयोशी रॉय ने पीठ से कहा कि नवलखा यह पता लगाने के लिए चिकित्सा जांच कराना चाहते हैं कि कहीं उन्हें ‘‘कैंसर’’ तो नहीं है। नवलखा ने अपनी याचिका में इस साल मई में उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी आदेश का भी हवाला दिया जिसमें शीर्ष अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी लेकिन हिरासत के एक विकल्प के तौर पर घर में नजरबंद किए जाने के पक्ष में फैसला दिया था। अपनी याचिका में नवलखा ने यह भी कहा कि मामले में 15 आरोपी हैं और 30,000 पन्नों से अधिक के आरोपपत्र तथा 150 से अधिक गवाहों की जांच की जानी है, ऐसे में उन्हें मुकदमे के पूरा होने तक कैद में रखना बेहद ''अन्यायपूर्ण, कठोर और क्रूरता'' होगा। कार्यकर्ता ने यह भी कहा कि उन्होंने हमेशा जांच में सहयोग किया है इसलिए उन्हें घर में नजरबंद रखा जा सकता है। नवलखा के वकीलों ने उच्च न्यायालय को बताया कि उन्होंने पहले ही तलोजा जेल अधिकारियों को पत्र लिखकर उनकी छाती में गांठ की चिकित्सा जांच कराने का अनुरोध किया था लेकिन उन्हें अभी जवाब नहीं मिला है। उन्होंने उच्च न्यायालय को यह भी बताया कि नवलखा को जेल में रहते हुए उच्च रक्तचाप और कई अन्य बीमारियां हो गयी। कार्यकर्ता ने अपनी याचिका में दावा किया कि तलोजा जेल कैदियों को होने वाली गंभीर चिकित्सा बीमारियों के इलाज में पूरी तरह अक्षम है। उन्होंने यह भी दावा किया कि तलोजा जेल के कर्मचारी अतीत में कैदियों के स्वास्थ्य और अन्य जरूरतों के प्रति लापरवाह रहे हैं। वकील चौधरी ने अदालत से नवलखा की चिकित्सकीय जांच मुंबई के निजी जसलोक अस्पताल में कराने की अनुमति देने का अनुरोध किया, जिसका खर्च नवलखा और उनका परिवार वहन करेगा। हालांकि, राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने याचिकाकर्ता के इस अनुरोध का विरोध किया और कहा कि आरोपी अपनी पसंद के अस्पताल के लिए जोर नहीं डाल सकता। साथ ही सुझाव दिया कि नवलखा को जेल प्रशासन द्वारा सरकारी अस्पताल ले जाया जाएगा। इस पर राज्य सरकार ने नवलखा को टाटा मेमोरियल अस्पताल ले जाने का प्रस्ताव किया जोकि जेल से करीब है। नवलखा के वकील ने राज्य सरकार के प्रस्ताव पर सहमति जताई। अदालत ने नवलखा को घर में नजरबंद किए जाने के अनुरोध के संबंध में एनआईए से जवाब मांगा। मामले की अगली सुनवाई 27 सितंबर के लिए तय की गई। नवलखा को पुणे पुलिस ने एल्गार परिषद मामले के संबंध में 28 अगस्त 2018 को दिल्ली से गिरफ्तार किया था। शुरुआत में उन्हें घर में नजरबंद रखा गया था लेकिन बाद में न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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