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आठ नए आईआईटी प्रदर्शन के सभी स्तरों पर पिछड़े, नहीं भरीं सभी सीटें, फैकल्टी कम रही, आरक्षित श्रेणियों को नहीं मिला पर्याप्त प्रतिनिधित्व

By विशाल कुमार | Updated: December 29, 2021 09:16 IST

ऑडिटर ने एक हालिया रिपोर्ट में कहा कि इन आठ आईआईटी को बुनियादी ढांचे की चुनौतियों का सामना करना पड़ा, उपलब्ध सीटों के मुकाबले कम नामांकन दर्ज किया गया, छात्र अनुपात में फैकल्टी की संख्या कम थी, छात्र नामांकन में आरक्षित श्रेणियों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं था और शोध पत्र प्रकाशित करने में पिछड़ गए।

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ठळक मुद्देये आठ आईआईटी भुवनेश्वर, गांधीनगर, हैदराबाद, इंदौर, जोधपुर, मंडी, पटना और रोपड़ में हैं2014-19 के दौरान पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में सभी आईआईटी में 28 फीसदी सीटें खाली रहीं।अनुसूचित जनजातियों के लिए हैदराबाद में 73 फीसदी पीएचडी सीटें खाली रहीं।

नई दिल्ली: 2008-09 में स्थापित आठ नए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) प्रदर्शन के लगभग सभी, प्रशासनिक और बुनियादी ढांचे के मानकों पर निम्न स्तर के पाए गए हैं। नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ने अपनी लेखापरीक्षा में यह दर्ज किया है।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ऑडिटर ने एक हालिया रिपोर्ट में कहा कि इन आठ आईआईटी को बुनियादी ढांचे की चुनौतियों का सामना करना पड़ा, उपलब्ध सीटों के मुकाबले कम नामांकन दर्ज किया गया, छात्र अनुपात में फैकल्टी की संख्या कम थी, छात्र नामांकन में आरक्षित श्रेणियों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं था और शोध पत्र प्रकाशित करने में पिछड़ गए।

इसने 2014 और 2019 के बीच भुवनेश्वर, गांधीनगर, हैदराबाद, इंदौर, जोधपुर, मंडी, पटना और रोपड़ में आठ आईआईटी की गतिविधियों को देखा। रिपोर्ट संसद में शीतकालीन सत्र के दौरान प्रस्तुत की गई थी।

ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, छठे वर्ष (2013-14) के अंत में किसी भी आईआईटी में 2,360 छात्रों का प्रवेश पूरा नहीं हो सका।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 18,880 छात्रों के कुल लक्षित प्रवेश के मुकाबले, पहले छह वर्षों के दौरान सभी आठ आईआईटी में केवल 6,224 छात्रों (33 फीसदी) को प्रवेश दिया गया था।

2014-19 के दौरान पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में सभी आईआईटी में 28 फीसदी सीटें खाली रहीं। 2014-19 में सभी आठ संस्थानों में छात्र अनुपात के लिए फैकल्टी की संख्या अपर्याप्त थी। अनुसूचित जनजातियों के लिए, हैदराबाद में 73 फीसदी पीएचडी सीटें खाली रहीं, जबकि जोधपुर में 100 फीसदी सीटें खाली रहीं।

रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि शिक्षा मंत्रालय ने अधिकांश ऑडिट सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है और सिफारिशों पर कार्य करने के लिए इन्हें सभी आईआईटी को भेज दिया है।

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