ईडी के तेजतर्रार अधिकारी राजेश्वर सिंह को मिला वीआरएस, लड़ सकते हैं चुनाव
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 1, 2022 09:38 PM2022-02-01T21:38:26+5:302022-02-01T21:48:29+5:30
राजेश्वर सिंह ने कहा कि आज भारत सरकार से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) के मेरे अनुरोध को स्वीकार कर लिया गया है।
दिल्ली: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) के लिए आवेदन करने वाले तेजतर्रार अधिकारी राजेश्वर सिंह की अर्जी को मोदी सरकार ने मंजूरी प्रदान कर दी है।
उम्मीद है कि जल्द ही वो भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता लेंगे और विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा सकते हैं। उत्तर प्रदेश के लखनऊ में ईडी के संयुक्त निदेशक के पद पर तैनात राजेश्वर सिंह ने स्वयं इस बात की जानकारी दी थी कि वह ईडी से समय पूर्व सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
राजेश्वर सिंह ने कहा कि आज भारत सरकार से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) के मेरे अनुरोध को स्वीकार कर लिया गया है। 24 वर्षों के अथक और कर्तव्यनिष्ठ कठिन परिश्रम का कारवां आज बदलाव के बिंदु पर पहुंच गया है।
देश के वरिष्ठ पुलिस पदाधिकारियों में शुमार राजेश्वर सिंह ने करियर के शुरुआती करीब 10 वर्षों तक उत्तर प्रदेश पुलिस में काम किया। इसके बाद वह केंद्रीय सेवा में चले गये और बाकी के वर्षों में वह ईडी के साथ जुड़े रहे।
उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि आज 24 साल का मेरा पेशेवर सफर बदल रहा है तो इस मौके पर मैं माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी, माननीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी और वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण जी, मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी, ईडी निदेशक श्री एस के मिश्रा और उत्तर प्रदेश पुलिस का गहन आभार व्यक्त करता हूं।
उन्होंने कहा कि इतने वर्षों तक सरकारी संगठनों के साथ काम करते हुए काफी कुछ सीखा है। मैं एक भागीदार के तौर पर, भारत को विश्व गुरू बनाने के प्रधानमंत्री के अभियान में शामिल हो गया हूं और मैं राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में दृढ़ विश्वास और अखंडता के साथ योगदान देना चाहता हूं।’
सिंह ने पिछले साल के अंत में वीआरएस के लिए आवेदन दिया था। सूत्रों ने बताया कि वह भाजपा के टिकट पर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ सकते है। सिंह ने कहा, ‘‘मैं इससे बहुत संतुष्ट हूं कि बेईमान भ्रष्ट नेताओं की विभिन्न धमकियों और दबाव बनाने के हथकंडे के बावजूद बिना झुके काम करने के मेरे साहस की माननीय उच्चतम न्यायालय ने समय-समय पर सराहना की।’’
अधिकारी अपने करियर में कई विवादों में भी रहे जिनमें जून 2018 में हुआ एक विवाद भी शामिल है जब वित्त मंत्रालय ने उच्चतम न्यायालय में एक गोपनीय रिपोर्ट सौंपी, जिसमें अधिकारी को दुबई से आए एक फोन कॉल की जानकारी थी।