नयी दिल्ली, 24 मई दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सोमवार को केंद्र सरकार पर कोरोना वायरस टीकाकरण कार्यक्रम में ‘कुप्रबंधन’ का आरोप लगाया और कहा कि उसने विदेशी कंपनियों के टीकों को मंजूरी दिये बिना ही राज्यों को खुराकों के लिए वैश्विक निविदाएं निकालने के लिए कह दिया।
उपमुख्यमंत्री ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन को लिखे पत्र में आरोप लगाया कि देश में युवाओं का टीकाकरण नीतिगत ‘गलत कदम’ के चलते ‘अस्तव्यस्त’ हो गया।
उन्होंने पत्र में लिखा है, ‘‘ हमारे वैज्ञानिक समुदाय और भारतीय विनिर्माताओं द्वारा उपलब्ध कराये गये शुरुआती फायदे के बावजूद हमने अपने लोगों का समय से टीकाकरण करने का बड़ा मौका गंवा दिया। भारत सरकार द्वारा मौका गंवाये जाने के कारण कोविड महामारी की इस वर्तमान लहर के दौरान असाधारण संख्या में जानें गयीं।’’
सिसोदिया ने ऑनलाइन ब्रीफिंग में कहा कि फाइजर और मॉडर्ना जैसी विशाल अमेरिकी दवा कंपनियों ने सीधे दिल्ली सरकार को कोरोना वायरस के टीके बेचने से इनकार कर दिया और कहा कि वे बस केंद्र से बात करेंगी।
सिसोदिया ने कहा, ‘‘ क्या यह मजाक है? एक तरफ तो राज्यों से टीके खरीदने के लिए वैश्विक निविदाएं निकालने को कहा गया लेकिन भारत सरकार ने इन टीकों को मंजूरी नहीं दी। ’’
उन्होंने आरोप लगाया कि दुनियाभर के देश टीके के उत्पादन पर नजर बनाये हुए थे और कई ने परीक्षणों के दौरान ही पहले से ही ऑर्डर दे दिया था जबकि भारत सरकार ‘सो’ रही थी।
उन्होंने कहा कि अमेरिका और यूरोपीय संघ ने नवंबर, 2020 तक टीके की 70 करोड़ खुराक खरीद ली और अमेरिका ने परीक्षण के दौरान ही खरीदारी शुरू कर दी एवं उसके पास अपनी पूरी जनसंख्या के लिए टीके का पर्याप्त भंडार है।
सिसोदिया ने कहा कि कई देशों ने फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन के टीकों को मंजूरी दी है लेकिन भारत सरकार अबतक ऐसा नहीं कर पायी है।
उन्होंने कहा, ‘‘ करीब 85 देशों ने फाइजर के टीके , 46 देशों ने मॉडर्ना के टीके को और 41 देशों ने जॉनसन एंड जॉनसन टीके को मंजूरी दी। उन्होंने खरीदना भी शुरू कर दिया है लेकिन हम अब भी मंजूरी का खेल खेल रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि कौन सी ‘मजबूरी ’ है कि भारत बस दो स्थानीय विनिर्माताओं पर निर्भर है, स्पुतिनक को भी अप्रैल में मंजूरी दी गयी जबकि रूस में उसे पिछले साल अगस्त में ही आपात उपयोग की मंजूरी मिल गयी थी।
उन्होंने कहा , ‘‘ मैं हाथ जोड़कर केंद्र सरकार से टीकाकरण कार्यक्रम का मजाक नहीं बनाने एवं उसकी गंभीरता को समझने का अनुरोध करता हूं, अन्यथा जबतक टीके का इंतजाम होगा तबतक जिन लोगों को पहले टीके लग चुके हैं, वे शायद एंटीबॉडीज गंवा चुके होंगे और फिर से उन्हें टीका लगाने की जरूरत होगी।
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