DU teachers’ association polls: दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के लिए बुधवार को हुए चुनावों में 9,500 पात्र मतदाताओं में से कुल 85.5 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) समर्थित नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (एनडीटीएफ) और डेमोक्रेटिक यूनाइटेड टीचर्स अलायंस (डीयूटीए) प्रमुख दावेदार हैं।
इस बार विभिन्न विचारधाराओं के करीब नौ शिक्षक संगठनों ने 'डेमोक्रेटिक यूनाइटेड टीचर्स एलायंस' नाम से एक गठबंधन बनाया है। इस गठबंधन में डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (डीटीएफ), आम आदमी पार्टी समर्थित एकेडमिक फॉर एक्शन एंड डेवलपमेंट दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (एएडीटीए), इंडियन नेशनल टीचर्स कांग्रेस (आईएनटीईसी), दिल्ली टीचर्स इनीशिएटिव (डीटीआई), समाजवादी शिक्षक मंच (एसएसएम), कॉमन टीचर्स फ्रंट (सीटीएफ), इंडिपेंडेंट टीचर्स फ्रंट फॉर सोशल जस्टिस (आईटीएफ-एसजे) और 'वॉयस ऑफ डीयू एडहॉक' जैसे समूह शामिल हैं।
एनडीटीएफ ने पिछली बार (2021 में) डूटा का चुनाव जीता था जबकि डीटीएफ ने 2021 से पहले लगातार पांच बार चुनाव जीता था। मतदान सुबह 10 बजे शुरू हुआ और शाम पांच बजे समाप्त हुआ। बुधवार को हुए मतदान में 9,500 पात्र मतदाताओं में से कुल 8,187 ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
एनडीटीएफ ने एके भागी को मैदान में उतारा है, जिन्होंने पिछली बार शिक्षक संघ चुनाव में अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की थी। दूसरी ओर, डी.यू.टी.ए. ने अपने संयुक्त उम्मीदवार के रूप में आदित्य नारायण मिश्रा को मैदान में उतारा है।
डूटा के तीन बार अध्यक्ष रह चुके आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा कि उनका गठबंधन विश्वविद्यालय में शिक्षकों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक जबरदस्त ताकत के रूप में उभरा है। उन्होंने आरोप लगाया कि डीयू ने कई करोड़ रुपये का कर्ज लिया है और विश्वविद्यालय के वित्तीय बोझ का सीधा असर छात्रों पर पड़ सकता है।
आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा, ‘‘डीयू ने 1,100 करोड़ रुपये का ऋण लिया है। इस वित्तीय बोझ का असर सीधे छात्रों पर पड़ने की आशंका है। डीयू के इतिहास में यह अभूतपूर्व है कि नौ शिक्षक संगठन संस्थान के भविष्य को सुरक्षित करने के साझा लक्ष्य के लिए एकजुट हुए हैं। ’’