नई दिल्ली: रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 28 और 29 फरवरी को ओडिशा के चांदीपुर के एकीकृत परीक्षण रेंज से बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली (VSHORADS) मिसाइल के दो उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक आयोजित किए। DRDO ने इस सफल परीक्षण का वीडियो भी जारी किया है। बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली (VSHORADS) की सबसे खास बात ये है कि इसके लिए किसी भारी-भरकम लॉचर की जरूरत नहीं पड़ती। बेहद छोटे जमीन पर रखकर संचालित किए जाने वाले लॉंचर से इसे दागा जा सकता है।
इस प्रणाली के सफलतापूर्वक परीक्षण के बाद रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "ये परीक्षण अलग-अलग अवरोधन परिदृश्यों के तहत उच्च गति वाले मानव रहित हवाई लक्ष्यों के खिलाफ किए गए थे। सभी परीक्षण उड़ानों के दौरान, मिशन के उद्देश्यों को पूरा करते हुए, लक्ष्यों को मिसाइलों द्वारा रोका और नष्ट कर दिया गया था।"
VSHORADS एक दोहरे थ्रस्ट सॉलिड मोटर द्वारा संचालित होता है और इसका उपयोग कम दूरी पर कम ऊंचाई वाले हवाई खतरों को बेअसर करने के लिए किया जाएगा। रक्षा मंत्रालय के अनुसार VSHORADS एक मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम (MANPAD) है। इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने अपने निजी भागीदारों के सहयोग से स्वदेशी रूप से विकसित किया है।
VSHORADS के सफल परीक्षण के बाद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने विकास परीक्षणों में शामिल DRDO, सेना और उद्योगों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीकों से लैस यह मिसाइल सशस्त्र बलों को तकनीकी बढ़ावा देगी।
VSHORADS के सफल परीक्षण के बाद जल्द ही इसे भारतीय सेनाओं में भी शामिल किया जाएगा। चीन और पाकिस्तान से लगती सीमाओं पर इस प्रणाली का सबसे महत्वपूर्ण इस्तेमाल होगा। भारत के पास आकाश-एनजी सिस्टम पहले से ही मौजूद है जो दुश्मन के लड़ाकू विमान और अन्य खतरों को तबाह कर सकता है। सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल आकाश की मारक क्षमता 25 किलोमीटर तक की है। खास बात यह भी है कि 25 किमी की दूरी पर एकसाथ 4 हवाई लक्ष्यों को निशाना बनाने में आकाश मिसाइल प्रणाली सक्षम है।