पटनाः बिहार में नई सरकार बनने के साथ ही अब विधानसभा अध्यक्ष के नाम पर चर्चा तेज हो गई है। मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने के बाद डॉ प्रेम कुमार का विधानसभा अध्यक्ष बनना लगभग तय माना जा रहा है। भाजपा के सबसे पुराने और अनुभवी विधायकों में शुमार डॉ प्रेम कुमार मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव की जगह लेना लगभग तय हो गया है। भाजपा में डॉ प्रेम कुमार उस पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसने संगठन को बूथ स्तर से लेकर सत्ता तक पहुंचते देखा है। गया टाउन सीट से लगातार नौ बार विधायक चुना जाना अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
1990 में पहली बार जीत दर्ज करने के बाद से इस सीट पर उनकी पकड़ कभी ढीली नहीं पड़ी। यह लगातार जनसमर्थन उन्हें वर्तमान विधानसभा के सबसे अनुभवी नेताओं में शामिल करता है। उनका यह राजनीतिक सफर सिर्फ चुनावी जीत तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने कृषि, आपदा प्रबंधन, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण जैसे मंत्रालयों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभालीं।
प्रशासन और विधायी प्रक्रिया की उनकी समझ उन्हें अध्यक्ष जैसे संवैधानिक दायित्व के लिए मजबूत बनाती है। मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव लंबे समय से भाजपा में वरिष्ठ नेतृत्व का हिस्सा रहे हैं और कई बार सदन की कार्यवाही संभाल चुके हैं। मगर इस बार पार्टी के भीतर से संकेत मिल रहे हैं कि नई राजनीतिक परिस्थितियों में यह जिम्मेदारी डॉ प्रेम कुमार को दी गई है।
प्रेम कुमार का शांत स्वभाव, व्यवहारिक राजनीति और सदन की प्रक्रियाओं की गहरी समझ इस भूमिका के लिए उन्हें आदर्श बनाती है। 69 साल के प्रेम कुमार ने मगध विश्वविद्यालय से पीएचडी की है। वे पिछले तीन दशकों में बिहार सरकार की कई कैबिनेटों में मंत्री रह चुके हैं।
2015 के विधानसभा चुनाव के बाद वे बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे। पार्टी संगठन से लेकर सरकार तक, दोनों स्तरों पर उनका व्यापक अनुभव माना जाता है। एनडीए की बड़ी जीत के बाद विधानसभा अध्यक्ष पद पर भाजपा और जदयू दोनों की दावेदारी थी। लेकिन अब तस्वीर साफ होती दिख रही है।