दिल्ली हिंसा: CJI एसए बोबडे ने कहा, 'कोर्ट भी शांति चाहता है, लेकिन उसे अपनी सीमाओं का पता है'

By भाषा | Published: March 2, 2020 11:00 PM2020-03-02T23:00:46+5:302020-03-02T23:00:46+5:30

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर गत 23 फरवरी को उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा में कम से कम 42 लोगों की मौत हुई है और 200 से अधिक लोग घायल हुए हैं।

Delhi violence CJI SA Bobde says Court also wants peace, but it knows its limits | दिल्ली हिंसा: CJI एसए बोबडे ने कहा, 'कोर्ट भी शांति चाहता है, लेकिन उसे अपनी सीमाओं का पता है'

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे

Highlightsइस तरह के दबाव से निपटने के लिये हम सक्षम नहीं हैं। हम चीजों को होने से नहीं रोक सकते। इस बीच, शीर्ष अदालत में सामाजिक कार्यकर्ता योगिता भयाना ने दंगों और खुफिया ब्यूरो के अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या की अदालत की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग करते हुए एक अलग याचिका दायर की है।

राष्ट्रीय राजधानी में सांप्रदायिक हिंसा थमने के बीच प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे ने सोमवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय भी शांति की कामना करता है, लेकिन उसकी भी कुछ ‘सीमाएं’ हैं और वह ‘एहतियातन राहत’ नहीं दे सकता है। न्यायमूर्ति बोबडे ने यह टिप्पणी भाजपा नेताओं--अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा, कपिल मिश्रा और अभय वर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग करने वाली याचिकाओं पर चार मार्च को सुनवाई करने पर सहमति जताने के बीच की। भाजपा के नेताओं पर नफरत फैलाने वाले भाषण देने का आरोप है जिसकी वजह से कथित तौर पर दिल्ली में हिंसा भड़की।

नागरिकता संशोधन कानून को लेकर गत 23 फरवरी को उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा में कम से कम 42 लोगों की मौत हुई है और 200 से अधिक लोग घायल हुए हैं। सांप्रदायिक हिंसा के 10 पीड़ितों द्वारा दायर याचिका का अविलंब सुनवाई के लिये प्रधान न्यायाधीश बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष उल्लेख किया गया, जिसने कहा कि इसपर बुधवार को सुनवाई होगी।

जब याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस ने इन याचिकाओं को अविलंब सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया तो प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम यह नहीं कह रहे हैं कि लोगों को मरना चाहिये। इस तरह के दबाव से निपटने के लिये हम सक्षम नहीं हैं। हम चीजों को होने से नहीं रोक सकते। हम एहतियाती राहत नहीं दे सकते। हम अपने ऊपर एक तरह का दबाव महसूस करते हैं।’’ पीठ में न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल हैं।

पीठ ने कहा कि अदालत किसी स्थिति से कोई चीज होने के बाद निपट सकती है और उसे किसी चीज को रोकने की शक्ति प्रदान नहीं की गई है। जब गोंजाल्विस ने कहा कि अदालत स्थिति को और बिगड़ने से रोक सकती है तो सीजेआई ने कहा, ‘‘जिस तरह का हमपर दबाव है, आपको जानना चाहिये कि हम उससे नहीं निपट सकते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम भी समाचार पत्र पढ़ते हैं और टिप्पणियां ऐसे की जाती हैं, मानो अदालत ही जिम्मेदार है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम भी शांति चाहेंगे, लेकिन आप जानते हैं कि कुछ सीमाएं हैं।’’

जब पीठ ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय पहले ही दिल्ली हिंसा से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है तो इसपर गोंजाल्विस ने कहा कि उच्च न्यायालय ने करीब छह सप्ताह के लिये सुनवाई स्थगित कर दी है और यह निराशाजनक है। उन्होंने शीर्ष अदालत से याचिका को मंगलवार को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध करने का अनुरोध करते हुए कहा, ‘‘जब लोग अब भी मर रहे हैं, तो उच्च न्यायालय क्यों नहीं इसपर अविलंब सुनवाई कर सकता है।’’

पीठ ने याचिका को बुधवार को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध करने पर सहमति जताते हुए कहा, ‘‘हम देखेंगे कि हम क्या कर सकते हैं।’’ इसी से संबंधित मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस से हिंसा प्रभावित लोगों के उपचार और उनके पुनर्वास के लिये उठाए गए कदमों के बारे में उससे स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह अदालत के 26 फरवरी के आदेश के अनुपालन में उनकी तरफ से उठाए गए कदमों पर एक रिपोर्ट सौंपे। उस आदेश के जरिये उच्च न्यायालय ने पीड़ितों के पुनर्वास के लिये कुछ निर्देश दिये थे। शीर्ष अदालत में पीड़ितों की ओर से दायर याचिका में दिल्ली के बाहर के अधिकारियों को लेकर एक विशेष जांच दल गठित करने और इसकी अगुवाई ऐसे ‘ईमानदार और प्रतिष्ठित’ अधिकारी को सौंपने का अनुरोध किया गया है, जो स्वतंत्र तरीके से काम करने में सक्षम हो।

इस बीच, शीर्ष अदालत में सामाजिक कार्यकर्ता योगिता भयाना ने दंगों और खुफिया ब्यूरो के अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या की अदालत की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग करते हुए एक अलग याचिका दायर की है। अधिवक्ता उत्सव सिंह बैंस के जरिये दायर याचिका में हिंसा रोकने में विफल रहे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की भी मांग की गई है। भाषा दिलीप उमा उमा

Web Title: Delhi violence CJI SA Bobde says Court also wants peace, but it knows its limits

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