Delhi Pollution: दिल्ली सरकार ने रविवार को घोषणा की कि 10वीं और 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को छोड़कर अन्य सभी के लिए प्रत्यक्ष कक्षाएं स्थगित रहेंगी। यह घोषणा ऐसे समय में की गई है, जब लगातार पांचवें दिन भी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर बना हुआ है। यह घोषणा वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) द्वारा चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के चौथे चरण के तहत दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के लिए कड़े प्रदूषण नियंत्रण उपायों को लागू करने के कुछ घंटों बाद की गई।
जीआरएपी का चौथा चरण सोमवार सुबह आठ बजे से प्रभावी होगा। मुख्यमंत्री आतिशी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘कल से जीआरएपी-चार लागू होने के साथ ही कक्षा 10वीं और 12वीं के छात्रों को छोड़कर सभी छात्रों के लिए प्रत्यक्ष कक्षाएं स्थगित रहेंगी। सभी स्कूल अगले आदेश तक ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित करेंगे।’’ दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) रविवार को ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गया। दिल्ली में एक्यूआई शाम चार बजे 441 दर्ज किया गया, जो प्रतिकूल मौसम के कारण शाम सात बजे तक बढ़कर 457 हो गया।
आदेश के मुताबिक, आवश्यक वस्तुओं को ले जाने वाले या स्वच्छ ईंधन (एलएनजी/सीएनजी/बीएस-छह डीजल/इलेक्ट्रिक) का उपयोग करने वाले ट्रकों को छोड़कर किसी भी ट्रक को दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
पंजाब में रविवार को पराली जलाने की 400 से अधिक घटनाएं हुईं
पंजाब में रविवार को पराली जलाने की 400 से अधिक नई घटनाएं सामने आईं, जिससे इस मौसम में राज्य में ऐसे मामलों की संख्या बढ़कर 8,404 हो गई। दूर संवेदी आंकड़ों से यह जानकारी सामने आयी है। पंजाब दूर संवेदी केंद्र ने बताया कि पराली जलाने की 404 नई घटनाएं सामने आयी हैं, जिनमें से फिरोजपुर में 74, बठिंडा में 70, मुक्तसर में 56, मोगा में 45 और फरीदकोट में 30 ऐसी घटनाएं हुईं।
फिरोज में पराली जलाने की सबसे अधिक घटनाएं हुईं। केंद्र के मुताबिक, 2022 और 2023 में इसी दिन पंजाब में पराली जलाने के क्रमश: 966 एवं 1155 मामले सामने आये थे। पंजाब में 15 सितम्बर से 17 नवम्बर तक पराली जलाने की 8,404 घटनाएं हुईं, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में ऐसी घटनाओं में 75 प्रतिशत की कमी है।
राज्य में 2022 और 2023 में इसी अवधि के दौरान पराली जलाने की क्रमशः 47,788 और 33,082 घटनाएं हुई थीं। अक्टूबर और नवंबर में धान की फसल की कटाई के बाद पंजाब और हरियाणा में पराली जलाये जाने को अक्सर दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है।