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लोकसभा चुनाव 2019ः दिल्ली में विकास का रंग पानी के जैसा है, जिसमें मिला दो उसके जैसा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 9, 2019 14:35 IST

सात लोकसभा सीटों में फैली दिल्ली में विकास का रंग पानी के जैसा है। जिसमें मिला दो उसके जैसा। जिस बर्तन में डालो, उसी के आकार का। कूड़ा बीनने वालों से लेकर विदेशी कंपनियों में ऊंचे ओहदे पर काम करने वाले लोग, विकास को अपने ही रंग के चश्मे से देखते हैं।

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ठळक मुद्देदिल्ली के लोग बालाकोट व विकास को अपने ही रंग के चश्मे से देखते हैं, सोच अलग-अलगइन सातों सीटों के मतदाताओं को 12 मई के दिन प्रत्याशियों के डूबने या पार उतरने का फैसला करना है।

रोजमर्रा की दिक्कतें मसलन बिजली और पानी से लेकर बालाकोट हमले तक, राष्ट्रीय राजधानी में विकास के मायने हर तबके के लिए अलग ही कहानी कहते हैं और विकास शब्द का अर्थ जरूरत के हिसाब से अपना चोला बदल लेता है और सियासी मतलब से भी विकास को नया जामा पहना दिया जाता है।

सात लोकसभा सीटों में फैली दिल्ली में विकास का रंग पानी के जैसा है। जिसमें मिला दो उसके जैसा। जिस बर्तन में डालो, उसी के आकार का। कूड़ा बीनने वालों से लेकर विदेशी कंपनियों में ऊंचे ओहदे पर काम करने वाले लोग, विकास को अपने ही रंग के चश्मे से देखते हैं।

इन सातों सीटों के मतदाताओं को 12 मई के दिन प्रत्याशियों के डूबने या पार उतरने का फैसला करना है। कूड़ा बटोरने का काम करने वाले श्रीकिशुन की जिंदगी के हालात बदतर है, लेकिन उन्होंने इतना पैसा तो जोड़ ही लिया है कि वे अपने गांव वापस जा सकें।

यह 28 साल का नौजवान कहता है कि बीते पांच सालों में कोई विकास नहीं हुआ, लेकिन मुल्क के लिए बहुत कुछ अच्छा हुआ है। उसने ऐंठन भरी मुस्कराहट से कहा, ‘‘मुल्क मशहूर हो रहा है, लेकिन बेरोजगारी भी फैल रही है।‘‘

दूसरी ओर दिल्ली में रहने वाले और गुड़गांव की एक विदेशी कंपनी में काम करने वाले हरप्रीत सिंह कहते हैं कि दिल्ली सरकार ने तालीम और सेहत के मामले में बेहतर काम किया है, लेकिन केंद्र की भाजपा सरकार बहुत ज्यादा फिसड्डी साबित हुई है।

दिल्ली निवासी 68 साल के रामसुख तिवारी पुराने नोट को नए नोटों में बदलने का काम करते है। उनका मानना है कि विकास का मतलब जीएसटी, बैंक खाता खोलने में आसानी और काश्तकारों की मदद से लेकर मुल्क की सुरक्षा से है। वह कहते हैं कि विकास पहले से हो रहा है और आगे भी होता रहेगा पर अब तक सरकार ने किसानों पर ध्यान नहीं दिया।

विकासपुरी के 50 साल के ईरिक्शा चालक कलुआ कहते हैं कि केजरीवाल पानी और बिजली के अपने वादों पर खरे उतरे हैं लेकिन केंद्र की भाजपा सरकार दादागिरी करती है। वे कहते हैं कि वे फालतू लोग हैं, मैं उनके बारे में बात तक नहीं करना चाहता। 

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