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दिल्लीः रेप को अपराध साबित करने के लिए ये पर्याप्त प्रमाण, उच्च न्यायालय ने की टिप्पणी, जानें पूरा मामला

By भाषा | Updated: June 28, 2023 14:25 IST

उच्च न्यायालय ने इस बात का संज्ञान लिया कि दोनों आरोपियों में से एक अविवाहित है और दूसरे को अपने बच्चों एवं माता-पिता की देखभाल करनी है और उन दोनों में सुधार की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

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ठळक मुद्देअदालत ने दोनों दोषियों की 30 साल की जेल की सजा को कम करके 20 साल कर दी।न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की अध्यक्षता वाली विभिन्न पीठों द्वारा सोमवार को दिये गये 65 फैसलों में से एक है।न्यायमूर्ति गुप्ता न्यायाधीश के तौर पर 14 साल अपनी सेवा देने के बाद मंगलवार को सेवानिवृत्त हुईं।

नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने नाइजीरिया की एक महिला के साथ 2014 में सामूहिक दुष्कर्म के एक मामले में दो आरोपियों को 20 वर्ष की जेल की सजा सुनाई है और कहा है कि डीएनए विश्लेषण के दौरान महज वीर्य की गैर-मौजूदगी पीड़िता के दावे को नहीं झूठलाती तथा योनि में लिंग का प्रवेश बलात्कार के अपराध को साबित करने के लिए पर्याप्त है।

उच्च न्यायालय ने इस बात का संज्ञान लिया कि दोनों आरोपियों में से एक अविवाहित है और दूसरे को अपने बच्चों एवं माता-पिता की देखभाल करनी है और उन दोनों में सुधार की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही अदालत ने दोनों दोषियों की 30 साल की जेल की सजा को कम करके 20 साल कर दी।

यह फैसला भी न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की अध्यक्षता वाली विभिन्न पीठों द्वारा सोमवार को दिये गये 65 फैसलों में से एक है। उन्होंने अपनी सेवानिवृत्ति के एक दिन पहले ये फैसले सुनाए। न्यायमूर्ति गुप्ता न्यायाधीश के तौर पर 14 साल अपनी सेवा देने के बाद मंगलवार को सेवानिवृत्त हुईं।

उन्हें 23 अक्टूबर, 2009 को दिल्ली उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया था और 29 मई, 2014 को उन्हें स्थायी नियुक्ति प्रदान की गयी। उच्च न्यायालय ने दोषी राज कुमार और दिनेश की उस अपील का निपटारा कर दिया, जिसमें उन्होंने निचली अदालत की ओर से दी गयी 30 साल की जेल की सजा को चुनौती दी थी।

न्यायमूर्ति गुप्ता और न्यायमूर्ति पूनम ए बंबा की पीठ ने कहा, ‘‘रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों पर विचार करने के बाद यह स्पष्ट है कि पीड़िता का बयान न केवल पूरी तरह से विश्वसनीय है, बल्कि अन्य तथ्यों एवं परिस्थितियों से भी समर्थित है। इस अदालत को दोषसिद्धि के विवादित फैसले में कोई त्रुटि नजर नहीं आती।’’

यह घटना 18-19 जून, 2014 की मध्यरात्रि को हुई थी, जब नाइजीरियाई महिला जनकपुरी के डिस्ट्रिक्ट सेंटर में एक दोस्त की पार्टी से लौट रही थी। जब वह ऑटो की तलाश कर रही थी, तभी एक कार उसके पास रुकी और दोनों आरोपियों ने उसे वाहन में बिठा लिया। वे उसे एक मकान में ले गए और उसके साथ दुष्कर्म किया।

अपराध को अंजाम देने के बाद, उन्होंने उसे मेट्रो पिलर के पास फेंक दिया। दोनों ने उसका कीमती सामान से भरा बैग भी छीन लिया। इसके बाद महिला पुलिस थाने गई और उसने शिकायत दर्ज कराई। महिला द्वारा बताए गए घर के विवरण के आधार पर दोनों लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया।

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