दिल्ली सरकार की शराब नीति पर सीबीआई जांच के दायरे में आए बड़े चेहरे, आरोपियों में विदेशी शराब की बड़ी कंपनियों और मीडिया के प्रतिनिधि
By शरद गुप्ता | Updated: August 20, 2022 18:59 IST2022-08-20T18:57:09+5:302022-08-20T18:59:32+5:30
Delhi Excise Policy: केजरीवाल सरकार पर आरोप है कि उसने विदेशी शराब की दुकानों का कमीशन दो प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया था.

सीबीआई जांच के दायरे में कई विदेशी शराब कंपनियों के भारतीय प्रतिनिधि और मीडिया के बड़े चेहरे आ रहे हैं.
नई दिल्लीः दिल्ली सरकार की आबकारी नीति को लेकर चल रही सीबीआई जांच के दायरे में कई विदेशी शराब कंपनियों के भारतीय प्रतिनिधि और मीडिया के बड़े चेहरे आ रहे हैं.
इस मामले में सीबीआई की एफआईआर में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मीडिया सलाहकार विजय नायर, एब्सोल्यूट और ग्लैनलिवेट जैसी महंगी शराब बनाने वाली कंपनी परनोद रिकर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष मनोज राय, बिंदको स्पिरिट्स के मालिक अमनदीप ढल, इंडोस्पिरिट के मालिक समीर महेंद्रु, बड़ी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अमित अरोड़ा, राधा इंडस्ट्रीज के मालिक दिनेश अरोड़ा, महादेव लिकर के मालिक सनी मारवाह और नेशनल मीडिया सेंटर के अर्जुन पांडे के नाम हैं.
अर्जुन पांडे के भाई सिद्धार्थ पांडे एक राष्ट्रीय टीवी चैनल में संपादक और एंकर रहे हैं. तो वहीं विजय नायर मुंबई स्थित एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी ओनली मच लाउडर के सीईओ रहे हैं. वे पिछले 8 वर्षों से आम आदमी पार्टी के साथ जुड़े रहे हैं और उनके कई सांस्कृतिक और राजनीतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते रहे हैं.
पिछले कुछ समय से वे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मीडिया सलाहकार भी थे. एफआईआर में आरोपी बनाए गए अर्जुन पांडे ने दो वर्ष पहले एक राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल में प्रेसिडेंट सेल्स मार्केटिंग और स्ट्रेटजी के तौर पर ज्वाइन किया था. उन्हीं के चैनल के सीईओ और संपादक भूपेंद्र चौबे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निकट सहयोगी आतिशी मारलेना के बहनोई हैं.
सीबीआई की एफआईआर में कहा गया है कि समीर महेंद्रू, दिनेश अरोड़ा जैसे शराब कंपनियों के प्रतिनिधियों और मालिकों से विजय नायर और अर्जुन पांडे ने करोड़ों रुपए नगद जमा किए और मनमाफिक शराब नीति बनवाने के लिए अधिकारियों में बांटे.
ये थी गड़बड़ियां
केजरीवाल सरकार पर आरोप है कि उसने विदेशी शराब की दुकानों का कमीशन दो प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया था और स्कूलों और कॉलोनियों के पास प्रतिबंधित स्थानों पर भी शराब की दुकानें खोली गई.
सभी ने मिलकर तैयार की थी पॉलिसी
हालांकि केजरीवाल सरकार का कहना है उसने शराब नीति तत्कालीन उप राज्यपाल अनिल बैजल की सहमति से तैयार की थी. इसे तत्कालीन कानून सचिव, गृह सचिव, वित्त सचिव और आबकारी सचिव ने मिलकर तैयार किया था.
एलजी ने नहीं दी थी अनुमति
वही अनिल बैजल ने भी एक बयान जारी कर सफाई दी है कि प्रतिबंधित क्षेत्रों में शराब की दुकानें खोलने का फैसला दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार का था. उन्होंने 67 प्रतिबंधित वार्ड में दुकानें खोलने के लिए अनुमति नहीं दी थी.