Medha Patkar: दिल्ली की एक अदालत ने एलजी वीके सक्सेना द्वारा दायर 23 साल पुराने मानहानि मामले में नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को पांच महीने की कैद की सजा सुनाई है।
अदालत ने मेधा पाटकर को वी के सक्सेना को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में यूं तो अधिकतम सजा 2 साल की होती है। लेकिन, उनके स्वास्थ्य को देखते हुए सजा पांच महीने की कर दी गई है। यहां जानकारी के लिए बताते चले कि इससे पहले गत माह सात जून को कोर्ट ने मेधा पाटकर की सजा पर फैसला सुरक्षित रखा लिया था। 24 मई को साकेत कोर्ट ने मेधा पाटकर को दोषी करार दिया था।
क्या है मामला
जिस मामले में मेधा पाटकर को पांच महीने की जेल हुई है वह मामला है 25 नवंबर 2000 का। इस साल मेधा पाटकर ने वीके सक्सेना पर आरोप लगाया था कि उन्होंने हवाला के माध्यम से लेनदेन किया। साथ ही उन्हें कायर भी बुलाया था। मेधा पाटकर ने सीधे तौर पर वीके सक्सेना की ईमानदारी पर हमला किया था।
मेधा पाटकर ने अपने बचाव में क्या कहा
मेधा पाटकर के द्वारा लगाए गए आरोपों के खिलाफ वीके सक्सेना ने मानहानि का केस किया। इस केस से बचने के लिए कोर्ट में मेधा पाटकर ने अपने बचाव में कहा कि वीके सक्सेना वर्ष 2000 से झूठे और मानहानि वाले बयान जारी करते रहे हैं। उन्होंने अपने बचाव में कहा था कि वीके सक्सेना ने एक कार्यक्रम के दौरान साल 2002 में उन पर हमला किया था, साथ ही उन्हें पीटा भी गया था।
यहां जानकारी के लिए बताते चले कि गत वर्ष मेधा पाटकर और एलजी वीके सक्सेना से संबंधित कुछ वीडियो को आम आदमी पार्टी के द्वारा भी शेयर किए गए। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह से लेकर मंत्री आतिशी, सौरभ भारद्वाज ने एलजी वीके सक्सेना पर निशाना साधा था।
साथ ही उनके इस्तीफे की मांग करते हुए मोदी सरकार पर निशाना साधा। आम आदमी पार्टी ने कहा था कि केंद्र की मोदी सरकार ने ऐसे आदमी को दिल्ली में बिठाया है जो महिलाओं को कार्यक्रम के दौरान पीटता है।