नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी.आर. गवई से बात कर एक वकील द्वारा उन पर जूता फेंकने के प्रयास की निंदा की और कहा कि इस हमले से हर भारतीय नाराज है। उन्होंने कहा, “हमारे समाज में इस तरह के निंदनीय कृत्यों के लिए कोई जगह नहीं है।” उन्होंने घटना के बाद शांति बनाए रखने के लिए गवई की प्रशंसा की। मोदी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी आर गवई जी से बात की। आज सुबह उच्चतम न्यायालय परिसर में उन पर हुए हमले से हर भारतीय नाराज है।
हमारे समाज में ऐसे भर्त्सनायोग्य कृत्यों के लिए कोई जगह नहीं है। यह पूरी तरह से निंदनीय है।” उन्होंने कहा, “मैं ऐसी स्थिति में न्यायमूर्ति गवई द्वारा प्रदर्शित धैर्य की सराहना करता हूं। यह हमारे संविधान की भावना को मजबूत करने तथा न्याय के मूल्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”
एक चौंकाने वाली सुरक्षा चूक में न्यायालय में सोमवार को कार्यवाही के दौरान 71 वर्षीय एक वकील ने सीजेआई गवई की ओर जूता उछालने की कोशिश की। भारतीय विधिज्ञ परिषद (बीसीआई) ने आरोपी वकील का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। पुलिस सूत्रों ने बताया कि आरोपी के कब्जे से एक नोट मिला जिस पर नारा लिखा था, “सनातन धर्म का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।”
अदालती कार्यवाही के दौरान और उसके बाद हुई इस अभूतपूर्व घटना से अविचलित रहे प्रधान न्यायाधीश ने अदालत के अधिकारियों और अदालत कक्ष में मौजूद सुरक्षाकर्मियों से कहा कि वे इसे नजरअंदाज करें और राकेश किशोर नामक दोषी वकील को चेतावनी देकर छोड़ दें।
सीजेआई की ओर जूता फेंकने का प्रयास करने वाले वकील को बीसीआई ने निलंबित किया
भारतीय विधिज्ञ परिषद (बीसीआई) ने भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी. आर. गवई की ओर कथित रूप से जूता फेंकने का प्रयास करने के मामले में आरोपी अधिवक्ता राकेश किशोर को सोमवार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। यह अभूतपूर्व घटना सोमवार सुबह करीब 11:35 बजे अदालत कक्ष संख्या-एक में उस वक्त हुई जब 71-वर्षीय अधिवक्ता राकेश किशोर ने अपने जूते उतारकर उन्हें प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ की ओर फेंकने का प्रयास किया। सुरक्षाकर्मियों ने आरोपी अधिवक्ता को तुरंत हिरासत में ले लिया।
बीसीआई के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा की ओर से जारी अंतरिम निलंबन आदेश में कहा गया है कि आरोपी का यह आचरण अदालत की गरिमा के प्रतिकूल है और अधिवक्ताओं की आचार संहिता तथा अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है।
बीसीआई ने कहा, “प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि दिल्ली विधिज्ञ परिषद (बीसीडी) से संबद्ध अधिवक्ता राकेश किशोर ने अदालत की कार्यवाही के दौरान प्रधान न्यायाधीश की ओर जूता फेंकने का प्रयास किया, जो गंभीर कदाचार है।’’
बीसीआई ने यह भी कहा कि निलंबन की अवधि में आरोपी अधिवक्ता किसी भी न्यायालय, प्राधिकरण या अधिकरण में पेश नहीं हो सकेंगे और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाएगी। इसके साथ ही बीसीडी को निर्देश दिया गया है कि वह अधिवक्ता की सदस्यता स्थिति को अद्यतन करे और अपने क्षेत्राधिकार के सभी न्यायालयों एवं अधिकरणों को निलंबन की जानकारी दे। बीसीआई ने यह भी कहा कि अधिवक्ता को जारी किया गया पहचान पत्र, पास या किसी भी प्रकार की पहुंच की अनुमति (प्रोक्सिमटी) इस आदेश की अवधि में अमान्य रहेगी।
बीसीडी को आदेश प्राप्त होने के दो दिनों के भीतर अधिवक्ता को आदेश की प्रति उनके पंजीकृत पते और ईमेल पर भेजने तथा अनुपालन रिपोर्ट बीसीआई को सौंपने का निर्देश दिया गया है। इसके अतिरिक्त, अधिवक्ता राकेश किशोर को 48 घंटे के भीतर अनुपालन का हलफनामा दाखिल करने को भी कहा गया है।