नई दिल्लीः अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एम्स) दिल्ली का कंप्यूटर नेटवर्क आठवें दिन भी चालू नहीं किया जा सका. अब सरकार ने सेना के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के इंजीनियरों को इसे ठीक करने की जिम्मेदारी दी है. दिल्ली पुलिस सूत्रों के मुताबिक हैकरों ने एम्स के सभी कंप्यूटर का डाटा नष्ट नहीं किया है.
केवल उन्हीं कंप्यूटरों का डाटा हैकरों के कब्जे में है जो राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के नेटवर्क से जुड़े थे. पिछले 7 दिनों से इंटेलिजेंस ब्यूरो, नेशनल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी (एनआईए) सीबीआई, कंप्यूटर एमरजेंसी रिस्पांस टीम आफ इंडिया (सर्ट-इन )और नेशनल इनफॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) एम्स का डाटा वापस हासिल करने में दिल्ली पुलिस की विशेष सेल का की मदद कर रहे थे.
लेकिन उन्हें सफलता न मिलते देख अब यह जिम्मेदारी डीआरडीओ को दी गई है. दिल्ली पुलिस के अनुसार यह साइबर अटैक किसी भी व्यक्ति की मेल में भेजे गए कूट संदेश (इंक्रिप्टेड फाइल) के जरिए किया गया है जिसके कारण अब संस्थान अपने किसी भी फाइल और डाटा तक नहीं पहुंच पा रहा है.
ई-हॉस्पिटल सेवाएं बहाल
इस बीच मंगलवार देर रात को इंजीनियर एक स्थानीय सर्वर के जरिए ई-हॉस्पिटल सेवाएं बहाल करने में सफल हो गए हैं. साइबर हमले के 7 दिनों बाद एम्स के प्रवक्ता द्वारा जारी बयान के मुताबिक एम्स का नेटवर्क पूर्ण रूप से सुरक्षित किया जा रहा है.
चूंकि यह इतना बड़ा नेटवर्क है और इस पर इतना अधिक डाटा था कि सभी डाटा वापस मिलने में समय लग रहा है. फिलहाल ओपीडी और लैब जैसे काम स्थानीय सर्वर से जुड़े कंप्यूटरों से किए जा रहे हैं. फिलहाल इस संस्थान में 12000 मरीजों का रोज इलाज किया जा रहा है.
वीआईपी डाटा लीक होने का खतरा
क्योंकि दिल्ली के अधिकतर नौकरशाह, सांसद और मंत्री जैसे वीआईपी अपना इलाज एम्स में ही कराते हैं इसलिए उनके स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी लीक होने का खतरा बढ़ गया है.
करोड़ों का नुकसान
एम्स प्रशासन से जुड़े सूत्रों के मुताबिक यदि इंजीनियर चोरी हुआ डाटा वापस के भी आते हैं तो भी एम्स को करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ेगा. उसे अपना नया नेटवर्क बनाना पड़ेगा जो किसी भी तरह की हैकिंग से सुरक्षित हो. लेकिन डाटा नहीं मिल पाया तो ऐम्स को होने वाले नुकसान का आंकलन करना बहुत मुश्किल होगा.