नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उन आरोपों को अफवाह बताया है जिसमें कहा गया है कि सरकार ने सेना भर्ती की नई योजना अग्निपथ के तहत नियमों में बदलाव किया है और आवेदकों से जाति और धर्म प्रमाण पत्र मांगे हैं। विपक्ष के इस आरोप पर कि अब अग्निपथ योजना के लिए जाति और धर्म प्रमाण पत्र मांगे जा रहे हैं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह सिर्फ एक अफवाह है। ये व्यवस्था आजादी के पहले से चली आ रही है। पुरानी व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया गया है। पुरानी व्यवस्था को ही जारी रखा गया है। इस मामले में सेना के अधिकारियों की तरफ से भी स्पष्ट किया गया था कि उम्मीदवारों के लिए जाति प्रमाण पत्र जमा करने और यदि आवश्यक हो तो धर्म प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने के नियम हमेशा से मौजूद थे। इस संबंध में अग्निवीर भर्ती योजना में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल सेना की नई भर्ती योजना अग्निपथ के तहत मांगे गए आवेदनों में आवेदकों से जाति और धर्म प्रमाण पत्र भी उपलब्ध कराने को कहा गया था। इसी पर विपक्षी दल सरकार को घेरने लगे और आरोप लगाया कि ऐसा पहली बार हो रहा है। इस मामले में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि मोदी सरकार का घटिया चेहरा देश के सामने आ चुका है। क्या नरेंद्र मोदी पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों को सेना में भर्ती होने के काबिल नहीं मानते? भारत के इतिहास में पहली बार सेना भर्ती में जाति पूछी जा रही है। मोदी आपको अग्निवीर बनाना है, या जातिवीर।
इस मामले में भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रेस कांफ्रेंस करके इस मामले पर स्पष्टीकरण दिया और संजय सिंह पर जमकर हमला बोला। संबित पात्रा ने कहा कि भारतीय सेना जाति-धर्म के आधार पर भर्ती नहीं करती। संबित पात्रा ने कहा कि सेना में प्रशासनिक और परिचालन की जरूरतों के लिए जाति और धर्म का ब्यौरा मांगा जाता है। संबित पात्रा ने कहा कि भारतीय सेना सर्वोच्च न्यायालय में पहले ही बता चुकी है कि युद्ध क्षेत्र में किसी सैनिक के शहादत के बाद होने वाले अंतिम कर्मकांड को सही तरीके से निभाने के लिए सेना में ये ब्यौरे मांगे जाते हैं। संबित पात्रा ने कहा कि केजरीवाल की पार्टी और संजय सिंह देश को गुमराह करने के लिए ऐसा कर रहे हैं।