औद्योगिक उत्पादन में गिरावट, खुदरा महंगाई बढ़ी, अर्थव्यवस्था में सुधार टिकाऊ होने को लेकर बढ़ा संशय

By भाषा | Published: February 13, 2020 06:54 AM2020-02-13T06:54:35+5:302020-02-13T06:54:35+5:30

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर में औद्योगिक उत्पादन में गिरावट आई है वहीं खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी है। इससे अर्थव्यवस्था में दिख रहे सुधार के संकेतों के टिकाऊ होने को लेकर चिंता बढ़ी है। यह मुद्रास्फीति के जोखिम को भी रेखांकित करता है।

Decline in industrial production, rise in retail inflation, Increased skepticism about sustainable economic recovery | औद्योगिक उत्पादन में गिरावट, खुदरा महंगाई बढ़ी, अर्थव्यवस्था में सुधार टिकाऊ होने को लेकर बढ़ा संशय

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण। (फाइल फोटो)

Highlightsसरकार के अर्थव्यवस्था में सुधार आने के दावों के बीच मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर में औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) 0.3 प्रतिशत घट गया। वहीं उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जनवरी में बढ़कर 7.59 प्रतिशत पर पहुंच गयी जो कि इसका साढ़े पांच साल से अधिक का उच्चस्तर है।

सरकार के अर्थव्यवस्था में सुधार आने के दावों के बीच मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर में औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) 0.3 प्रतिशत घट गया। वहीं उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जनवरी में बढ़कर 7.59 प्रतिशत पर पहुंच गयी जो कि इसका साढ़े पांच साल से अधिक का उच्चस्तर है।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर में औद्योगिक उत्पादन में गिरावट आई है वहीं खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी है। इससे अर्थव्यवस्था में दिख रहे सुधार के संकेतों के टिकाऊ होने को लेकर चिंता बढ़ी है। यह मुद्रास्फीति के जोखिम को भी रेखांकित करता है।

रिजर्व बैंक की इस महीने की शुरुआत में जारी मौद्रिक नीति समीक्षा में इन चिंताओं को ध्यान में रखते हुये प्रमुख ब्याज दर में कोई कटौती नहीं की गई।

सीतारमण ने मंगलवार को संसद में 2020-21 के बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि आईआईपी में सकारात्मक वृद्धि से औद्योगिक गतिविधियों में आई तेजी सहित सात संकेतक अर्थव्यवस्था में सुधार की ओर इशारा कर रहे हैं। वहीं, इसके एक दिन बाद बुधवार को दिसंबर माह की औद्योगिक गतिविधियों को लेकर जारी आंकड़ों के अनुसार विनिर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के चलते आईआईपी 0.3 प्रतिशत घट गया। इससे पहले दिसंबर, 2018 में औद्योगिक उत्पादन 2.5 प्रतिशत बढ़ा था।

पिछले साल अगस्त, सितंबर और अक्टूबर लगातार तीन महीने गिरावट में रहने के बाद नवंबर 2019 में औद्योगिक उत्पादन 1.8 प्रतिशत बढ़ा था। अगस्त 2019 में इसमें 1.4 प्रतिशत की गिरावट आई थी, जबकि सितंबर में 4.6 प्रतिशत और अक्टूबर में 4 प्रतिशत नीचे आया था। इसी तरह बुधवार को ही जारी जनवरी के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित आंकड़ों में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 7.59 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह इसका 68 माह का उच्चस्तर है।

एक महीना पहले दिसंबर 2019 में यह 7.35 प्रतिशत थी। वहीं पिछले साल जनवरी महीने में यह कहीं नीचे 1.97 प्रतिशत पर थी। चालू वित्त वर्ष के पहले नौ माह (अप्रैल-दिसंबर 2019) के दौरान औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर घटकर 0.5 प्रतिशत रह गई। जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में आईआईपी में 4.7 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी।

इससे पहले, मई, 2014 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 8.33 प्रतिशत पर पहुंची थी। आंकड़ों के अनुसार खुदरा मुद्रास्फीति में यदि खाद्य मुद्रास्फीति की बात की जाये तो जनवरी, 2020 में यह 13.63 प्रतिशत रही, जबकि एक महीने पहले दिसंबर, 2019 में यह 14.19 प्रतिशत थी। हालांकि, जनवरी 2019 में इसमें 2.24 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी।

सब्जियों के मामले में महंगाई दर सालाना आधार पर इस साल जनवरी में उछलकर 50.19 प्रतिशत हो गयी जबकि दलहन और उससे बने उत्पादों की मुद्रास्फीति बढ़कर 16.71 प्रतिशत रही। मांस और मछली जैसे अधिक प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों की महंगाई दर आलोच्य महीने में बढ़कर 10.50 प्रतिशत रही जबकि अंडे के मूल्य में 10.41 प्रतिशत का उछाल आया। इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘‘विभिन्न श्रेणियों में दामों में तेजी को देखते हुए खाद्य मुद्रास्फीति चिंताजनक है। प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ के दाम ऊंचे बने रहने की आशंका है...।’’

एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख (मुद्रा) राहुल गुप्ता ने कहा, ‘‘यह लगातार दूसरा महीना है जब खुदरा मुद्रास्फीति केंद्रीय बैंक के मुद्रास्फीति लक्ष्य के दायरे से ऊपर निकल गयी है... अगर मुद्रास्फीति लगातार 6 प्रतिशत से ऊपर बनी रहती है, हमें नहीं लगता कि रिजर्व बैंक अगली मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में कटौती करेगा...।’’

औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों पर डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि दिसंबर में औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों में गिरावट से पिछले महीने से उद्योग गतिविधियों में जो सुधार दिखना शुरू हुआ है, उसके टिकने को लेकर चिंता बढ़ी है। यह समूची अर्थव्यवस्था की दृष्टि से अच्छा नहीं है क्योंकि वैश्विक स्तर पर दिक्कतें पहले से उद्योग के लिए चुनौती बनी हुई हैं।’ 

Web Title: Decline in industrial production, rise in retail inflation, Increased skepticism about sustainable economic recovery

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