नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर 8 से 1 अगस्त तक संसद में चर्चा होगी। कांग्रेस ने हाल ही में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। दरअसल, विपक्ष मांग कर रहा है कि मोदी मणिपुर में जातीय झड़पों पर संसद को संबोधित करें जो मई में बहुसंख्यक मैतेई समूह और आदिवासी कुकी अल्पसंख्यक के बीच हुई थी। हिंसा में कम से कम 130 लोग मारे गए हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।
26 जुलाई को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने नियमों के तहत आवश्यक 50 से अधिक सांसदों की संख्या प्राप्त होने के बाद मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। कांग्रेस संसदीय दल प्रमुख सोनिया गांधी, नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला, डीएमके के टीआर बालू और एनसीपी नेता सुप्रिया सुले सहित विपक्षी गुट 'इंडिया' के सांसद गिनती के लिए खड़े हुए।
इसके बाद बिड़ला ने अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके, सीपीआई, सीपीआई (एम), शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), जेडी (यू) और आप सहित 13 पार्टियों के विपक्षी सांसद भी गिनती के लिए खड़े हुए। गौरतलब है कि 2014 में सत्ता में आने के बाद यह दूसरी बार है कि मोदी सरकार को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ रहा है।
लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव 20 जुलाई, 2018 को पेश किया गया था। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने प्रचंड जीत हासिल की, जिसमें 325 सांसदों ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया और केवल 126 ने इसका समर्थन किया। विपक्षी गठबंधन 'इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस' 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस सहित 26 विपक्षी दलों का एक समूह है।
विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' में शामिल पार्टियों ने पीएम मोदी और भाजपा से मुकाबला करने और उन्हें केंद्र में लगातार तीसरी बार जीतने से रोकने के लिए हाथ मिलाया है।