लाइव न्यूज़ :

"बेटियां कोई भार नहीं हैं", भरण-पोषण मामले में उच्चतम न्यायालय ने पिता को फटकारा, जानें क्या है पूरा मामला

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 23, 2022 17:37 IST

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने यह टिप्पणी शुक्रवार को पुरुष की ओर से पेश वकील की दलील पर की।

Open in App
ठळक मुद्दे2018 के बाद बेटी के लिए 8,000 रुपये प्रति माह की दर से और पत्नी के वास्ते भरण-पोषण राशि के बकाये का भुगतान नहीं किया गया।व्यक्ति को दो सप्ताह के भीतर अपनी पत्नी और बेटी को 2,50,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत को बताया कि भरण-पोषण की बकाया राशि का भुगतान कर दिया गया है।

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने एक महिला को उसके पिता द्वारा किए जाने वाले भरण-पोषण के भुगतान से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि बेटियां कोई भार नहीं हैं। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने यह टिप्पणी शुक्रवार को पुरुष की ओर से पेश वकील की दलील पर की।

संविधान के समानता से संबंधित अनुच्छेद 14 का हवाला देते हुए न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, "बेटियां कोई भार नहीं हैं।" शीर्ष अदालत ने अक्टूबर 2020 में उल्लेख किया था कि आवेदकों की ओर से पेश वकील ने कहा है कि अप्रैल 2018 के बाद बेटी के लिए 8,000 रुपये प्रति माह की दर से और पत्नी के वास्ते भरण-पोषण राशि के बकाये का भुगतान नहीं किया गया।

इसने तब व्यक्ति को दो सप्ताह के भीतर अपनी पत्नी और बेटी को 2,50,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया था। बाद में, जब इस साल मई में यह मामला सुनवाई के लिए आया तो पीठ को बताया गया कि पत्नी की पिछले साल मौत हो गई थी। व्यक्ति की ओर से पेश वकील ने शीर्ष अदालत को बताया कि भरण-पोषण की बकाया राशि का भुगतान कर दिया गया है।

उन्होंने इस संबंध में बैंक स्टेटमेंट का हवाला दिया। अदालत ने मई के अपने आदेश में कहा था, ‘‘यह पता लगाने के लिए कि क्या भरण-पोषण के भुगतान के आदेश का अनुपालन किया गया है, हम रजिस्ट्रार (न्यायिक) से अनुरोध करते हैं कि वह याचिकाकर्ताओं और प्रतिवादी की ओर से पेश होने वाले वकीलों से स्थिति का पता लगाने के बाद एक तथ्यात्मक रिपोर्ट तैयार करें।’’

इसने कहा था कि रजिस्ट्रार (न्यायिक) की रिपोर्ट आठ सप्ताह के भीतर तैयार होनी चाहिए। यह मामला शुक्रवार को जब सुनवाई के लिए आया तो पीठ को बताया गया कि महिला एक वकील है और उसने न्यायिक सेवा की प्रारंभिक परीक्षा पास कर ली है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि महिला को अपनी परीक्षा पर ध्यान देना चाहिए ताकि वह अपने पिता पर निर्भर न रहे। पीठ को जब यह सूचित किया गया कि महिला और उसके पिता ने लंबे समय से एक-दूसरे से बात नहीं की है तो अदालत ने सुझाव दिया कि वे आपस में बात करें। पीठ ने व्यक्ति को आठ अगस्त तक अपनी बेटी को 50,000 रुपये का भुगतान करने को कहा। 

टॅग्स :सुप्रीम कोर्टदिल्ली
Open in App

संबंधित खबरें

भारतIndiGo Flights Cancelled: इंडिगो ने दिल्ली से सभी फ्लाइट्स आज रात तक की बंद, यात्रियों के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी

भारतDelhi Traffic Advisory: पुतिन के दौरे को लेकर दिल्ली में ट्रैफिक एडवाइजरी जारी, इन रास्तों पर जाने की मनाही; चेक करें

भारतIndiGo Flight Crisis: 8 एयरपोर्ट पर 100 से ज्यादा उड़ानें रद्द, यहां देखें दिल्ली-मुंबई समेत शहरों की इंडिगो फ्लाइट लिस्ट

भारतPutin visit India: पीएम मोदी और पुतिन के बीच होगा प्राइवेट डिनर, मेजबानी के लिए पीएम तैयार

भारतPutin visit India: रूसी राष्ट्रपति पुतिन के दौरे से पहले दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी, SWAT टीमें और पुलिस की तैनाती

भारत अधिक खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई