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Dame Munni Irone Interview: डेम मुन्नी आयरोनी अपने ऑफिस में बजाती हैं ‘ओम नम: शिवाय’, आयुर्वेदिक जीवनशैली, जानिए इनकी दिलचस्प कहानी

By शरद गुप्ता | Updated: April 27, 2022 11:54 IST

डेम मुन्नी आयरोनी (Dame Munni Irone) इन दिनों भारत दौरे पर हैं. इतालवी ईसाई पिता और भारतीय मुस्लिम मां के यहां जन्मीं डेम मुन्नी आयरोनी का भारत और यहां की जीवनशैली से गहरा नाता है.

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दिल से भारतीय, डेम मुन्नी आयरोनी एक ग्लोबल पीस लीडर, परोपकारी, लेखिका, सेलिब्रिटी-कोच, कॉर्पोरेट ट्रेनर, मानवतावादी, मानवाधिकार की हिमायती और आध्यात्मिक गुरु हैं. वे वैश्विक शांति और सेवा की आवाज हैं. उनसे लोकमत मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर (बिजनेस एवं पॉलिटिक्स) शरद गुप्ता ने बात की. प्रमुख अंश...

- आप अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों को कैसे बनाए रखती हैं?

मैं शराब नहीं पीती, धूम्रपान नहीं करती, मैंने लोगों को डेट नहीं किया है, मैं अपने जीवन, अपने उद्देश्य को समझती हूं.

- ये कैसे संभव हुआ?

क्योंकि मैंने सात साल की उम्र में ध्यान करना शुरू कर दिया था. 6000 साल पुरानी चीनी ध्यान शैली किगोंग, मुझे शिफू (गुरु) ने सिखाई थी. इसमें बहुत सारी गतिविधियां शामिल हैं. यह मुझे मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रखता है. मैं दिन में 18 घंटे काम करती हूं. मैं हर समय इसका अभ्यास करती हूं. मैं आपसे बात करते हुए भी ध्यान कर रही हूं.

- क्या यह आपके परिवार में चला आ रहा है?

नहीं, मेरे परिवार में मेरे जैसा कोई नहीं है. मैंने इसे बहुत शुरुआती चरण में अपना लिया था. पहले दिन मैं किगोंग का अभ्यास करते हुए चुप रही. उसके बाद मैं स्कूल से वापस आती थी, अपना बस्ता रखती थी और शिफू के पास दौड़ जाती थी. रविवार को, मैं कहीं नहीं जाती थी और कई घंटे तक किगोंग का अभ्यास करती थी. शिफू ने मुझसे कहा कि मैं उनकी या किसी और की तरफ न देखूं बल्कि खुद को ढूंढ़ूं.

- किगोंग ने आपको कैसे प्रभावित किया है?

मैं हमेशा शांत रहती हूं. हमेशा मुस्कुराती हूं क्योंकि मैं वर्तमान में रहती हूं, कभी भी अतीत या भविष्य के बारे में नहीं सोचती. यह ध्यान के कारण है कि मेरी त्वचा अभी भी 16 साल की उम्र जैसी ही है. मेरा शरीर मेरी बेटी से भी बेहतर आकार में है. मैं कोई दवा नहीं लेती, कोई दर्द निवारक नहीं, कोई एंटीबायोटिक नहीं. मैं आयुर्वेदिक जीवन शैली के हिसाब से चलती हूं. मेरे पिता आयुर्वेद के ज्ञाता थे. वे एक योगी थे. मैंने भी आयुर्वेदिक चिकित्सा की शिक्षा प्राप्त की है.

- आपके घर में किस धर्म का पालन किया जाता था?

मेरे पिता एक इतालवी ईसाई और माता एक भारतीय मुस्लिम थीं. लेकिन हमने घर पर कभी किसी धर्म का पालन नहीं किया. मेरे छह भाई-बहन हैं और वे सभी अलग-अलग आस्था रखते हैं. मुझे हिंदू धर्म पसंद है और मैं हर दिन पूजा करती हूं. मैं अपने ऑफिस में लगातार ‘ओम नम: शिवाय’ बजाती हूं. यह बहुत शांतिदायक है. मैंने कभी ज्योतिष या हस्तरेखा विद्या में विश्वास नहीं किया. यह सब मनोरंजन के लिए है. मुझे भविष्य के बारे में जानने की आवश्यकता क्यों हो.

- परोपकार के लिए बहुत अधिक धन की आवश्यकता होती है. आपको चैरिटी के लिए फंड कैसे मिलता है?

मैंने कभी किसी से फंड नहीं मांगा. मेरे पास खुद इतना पैसा है कि मुझे किसी के पैसे की जरूरत नहीं है. मैं अपनी पूरी कमाई दे देती हूं. मेरे पास बहुत सारे व्यवसाय हैं जो लॉस एंजिल्स, अफ्रीका, श्रीलंका, मलेशिया, यूरोप जैसे कई देशों में मेरी चैरिटी में सहायक हैं...ृ

- आप मशहूर हस्तियों, राजनेताओं, कॉर्पोरेट दिग्गजों और जरूरतमंद व्यक्तियों को  एक साथ कैसे प्रबंधित करती हैं?

उसके लिए आपको मेरी किताब ‘गेट बैलेंस’  पढ़नी होगी. आप भी मेरी जिंदगी जी सकते हो. लोग अपने भाइयों को एक पैसा नहीं देंगे, लेकिन अपने गुरु पर ढेर सारा पैसा बरसा देंगे. यह उनका ‘स्वर्ग में स्थान पक्का’ करने का तरीका है. यदि आप सच्चे गुरु हैं तो आप किसी से घृणा नहीं करेंगे.

- आप भारत में आध्यात्मिक और सामाजिक माहौल को कैसे देखती हैं?

मैं टीवी नहीं देखती, अखबार नहीं पढ़ती इसलिए उसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. लेकिन, मुझे पता है कि हमें यह समझना होगा कि हम ही समस्या हैं. अगर मैं खुद को सही कर लूं, आप खुद को सुधार लो तो समस्या का समाधान हो जाएगा. मुझे लगता है कि मोदीजी भारत के विकास का अच्छा काम कर रहे हैं.

- आपको भारत में क्या चीज ले आई?

मैं व्यापार के साथ-साथ भारत की शांति यात्रा पर भी हूं. जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, आगरा आदि पर्यटन स्थलों पर जाने के अलावा मैं यहां कई आध्यात्मिक नेताओं से भी मिली हूं. मैंने इन सभी जगहों पर कोशेर किचन तैयार किया है ताकि यहूदी आ सकें. यह एक विशिष्ट बाजार है. पर्यटन से पैसा और रोजगार आता है.

- क्या आप भारत में किसी एक व्यक्ति का नाम बता सकती हैं, जिसे आप वास्तव में पसंद करती हैं और उसकी प्रशंसा करती हैं?

हां, रतन टाटा मेरे पीस लीडर हैं. वे अध्यात्म में, व्यवसाय में और मानवीय मूल्यों में मेरे जैसे हैं. वे एक सच्चे इंसान हैं जो जीवन को समझते हैं. वे अपने आप में सबसे अच्छे गुरु हैं. उन्होंने अपने संस्थान में सभी को बुद्धिमत्ता सिखाई है. वे जब भी हमारे बीच नहीं रहें तो पूरा भारत बंद रहना चाहिए और उत्सव मनाना चाहिए कि इतना बेहतरीन इंसान हमारे यहां पैदा हुआ.

टॅग्स :रतन टाटानरेंद्र मोदी
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