हेमंत सोरेन से ईडी की पूछताछ में मौजूद थे सीआरपीएफ के जवान, उखड़ी झारखंड मुक्ति मोर्चा, केंद्र सरकार पर लगाया तनाव फैलाने का आरोप
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: January 22, 2024 01:45 PM2024-01-22T13:45:40+5:302024-01-22T13:49:23+5:30
झारखंड में ईडी द्वारा राज्य मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से शनिवार को गई पूछताछ में केंद्रीय सुरक्षा बल (सीआरपीएफ) की तैनाती का मामला अब गर्माता जा रहा है।
रांची: झारखंड खनन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा की गई पूछताछ में केंद्रीय सुरक्षा बल (सीआरपीएफ) की तैनाती का मामला अब गर्माता जा रहा है। मुख्यमंत्री सोरने की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बीते रविवार को आरोप लगाया कि ईडी द्वारा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से शनिवार को की गई पूछताछ के क्रम में सीआरपीएफ के जवान जिला प्रशासन से बिना किसी अनुमति या उन्हें सूचना दिये मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे।
समाचार वेबसाइट इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार इस मामले में झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर कहा गया है कि केंद्रीय सुरक्षा जवानों द्वारा सीएम आवास में जबरन घुसने की कोशिश की गई और यह बेहद गंभीर बात है कि राज्य के मुख्यमंत्री के साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है।
इसके साथ ही पार्टी ने मांग की है कि केंद्र सरकार और गृहमंत्रालय मामले का संज्ञान लेते हुए सीआरपीएफ के खिलाफ "सख्त कानूनी कार्रवाई" करे। पार्टी का मानना है कि सीआरपीएफ की ओर से किये गये उस कार्रवाई से राज्य सरकार के साथ तनाव बढ़ाने की गुप्त मंशा थी।
आरोपों के संबंध में पार्टी ने महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य और विनोद पांडे के हस्ताक्षर से जारी एक बयान में कहा है, “केंद्र सरकार की जांच एजेंसियों की पक्षपातपूर्ण कार्रवाई के खिलाफ जनता और झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था, जिसके मद्देनजर धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू की गई थी। इसी बीच अचानक सीआरपीएफ जवानों बस में भरकर आये और बिना किसी अनुमति या पूर्व सूचना के सीएम आवास में जहरन घुसने की कोशिश करने लगे और पार्टी कार्यकर्ताओं से झगड़ा करने लगे।"
इसके साथ दोनों नेताओं के बयान में यह भी कहा गया है कि सीएम आवास एक प्रतिबंधित क्षेत्र है और उसमें सीआरपीएफ जवानों का जबरन प्रवेश एक भड़काऊ और गैरकानूनी कृत्य है।
उन्होंने कहा, “अगर पार्टी कार्यकर्ताओं ने संयम नहीं दिखाया होता तो हिंसक स्थिति पैदा हो सकती थी। यह कृत्य केंद्र की एक पूर्व नियोजित साजिश थी ताकि सीआरपीएफ जवानों और पार्टी के प्रदर्शनकारियों के बीच लड़ाई हो और फिर राज्य सरकार पर संवैधानिक विफलता का आरोप लगाया जा सके। यह सारा खेल राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की भूमिका के रूप में तैयार की जा रही थी। यह सब केंद्र सरकार के इशारे पर हुआ, जो लगातार राज्य सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रही है।''
वहीं सीआरपीएफ के एक अधिकारी ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया, “हमें ईडी का आदेश था। इस कारण से हम वहां पर गये थे और उन्होंने हमें लिखित में दिया था। इसमें इससे अधिक कुछ नहीं है।”
मामले में राज्य भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने सोरेन सरकार पर हमला करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार कानून-व्यवस्था का पालन नहीं कर रही है। जब इस तथ्य को बताया जा हा है कि सीएम आवास के आसपास धारा 144 लागू थी तो भला झामुमो के प्रदर्शनकारी धनुष- तीर के साथ वहां कैसे इकट्ठा हुए थे। क्या मुख्यमंत्री सोरेन न्यायिक व्यवस्था और केंद्रीय एजेंसियों को डराना चाहते हैं? इस घटना से साफ है कि मौजूदा सरकार भय का माहौल पैदा करने की कोशिश कर रही है।"
भाजपा नेता शाहदेव ने आगे कहा, 'मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद कानून-व्यवस्था में विश्वास नहीं करते हैं क्योंकि जब उन्हें ईडी कार्यालय आने के लिए कहा गया तो उन्होंने ईडी को पूछताछ के लिए अपने आवास पर बुलाया था।''