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भारत के उपराष्ट्रपति बनने के बाद सीपी राधाकृष्णन पहली बार आए बिहार दौरे पर, कहा-बिहार सदियों से क्रांतिकारियों का केंद्र रहा है

By एस पी सिन्हा | Updated: September 28, 2025 16:17 IST

पटना आगमन पर उनका भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने उन्हें अंगवस्त्र दे कर उनका स्वागत किया। पटना पहुंचने के बाद उपराष्ट्रपति सबसे पहले जेपी गोलंबर पहुंचे, जहां उन्होंने लोकनायक जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। 

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पटना: भारत के उपराष्ट्रपति बनने के बाद सीपी राधाकृष्णन रविवार को पहली बार पटना पहुंचे। पटना आगमन पर उनका भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने उन्हें अंगवस्त्र दे कर उनका स्वागत किया। पटना पहुंचने के बाद उपराष्ट्रपति सबसे पहले जेपी गोलंबर पहुंचे, जहां उन्होंने लोकनायक जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। 

इस दौरान उन्होंने जेपी के योगदान को याद करते हुए कहा कि लोकतंत्र की रक्षा में उनका बलिदान और संघर्ष आज भी युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। इसके बाद उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ज्ञान भवन स्थित बापू सभागार में आयोजित उन्मेषा इंटरनेशनल लिटरेचर फेस्टिवल के तीसरे संस्करण के समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।

इस दौरान राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, पर्यटन मंत्री राजू कुमार सिंह, साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक और संस्कृति मंत्रालय के सचिव विवेक अग्रवाल समेत कई गणमान्य लोगों ने उनका स्वागत किया। इस मौके पर तमिलनाडु भगदड़ हादसे में मारे गए 39 लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए एक मिनट का मौन भी रखा गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्यकार, शोधकर्ता, बुद्धिजीवी और छात्र मौजूद रहे। 

इस दौरान उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि यह उनका बिहार का पहला दौरा है और इस पवित्र भूमि का हिस्सा बनना उनके लिए गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि “बिहार माता सीता की जन्मभूमि है, जिन्होंने साहस और धैर्य का जीवन जीकर पूरे विश्व को प्रेरित किया। यही सीख हमें भी संघर्ष और आगे बढ़ने की शक्ति देती है। 

उन्होंने कहा कि बिहार सदियों से क्रांतिकारियों का केंद्र रहा है। 19 वर्ष की आयु में वे स्वयं जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन का हिस्सा बने थे। छठ पर्व का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह पर्व हमारी संस्कृति की विशिष्टता है, जहां उगते सूर्य के साथ-साथ डूबते सूर्य की भी पूजा की जाती है। 

सांस्कृतिक विविधता पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति ने एक प्रसंग साझा किया। यूरोप में एक मित्र ने मुझसे पूछा कि इतने भाषाई भेदों के बावजूद भारत एकजुट कैसे रहता है? मैंने उत्तर दिया कि हमारा धर्म हमें जोड़ता है। कार्यक्रम के बाद उपराष्ट्रपति हेलीकॉप्टर से मुजफ्फरपुर गए। वहां उन्होंने कटरा स्थित चामुंडा मंदिर पहुंचकर पूजा-अर्चना किया। इसके बाद विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल हुए।

टॅग्स :सीपी राधाकृष्णनबिहारभारत के उपराष्ट्रपति
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