नयी दिल्ली, 16 फरवरी उच्चतम न्यायालय ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) में विपक्ष के नेता पद पर भाजपा के एक पार्षद के दावे को मंगलवार को खारिज करते हुए कहा कि यह पद रखने का कानूनी अधिकार राजनीतिक संबंधों में होने वाले बदलाव पर निर्भर नहीं करता है।
न्यायालय ने भाजपा पार्षद प्रभाकर तुकाराम शिंदे की यह अपील खारिज कर दी कि उनकी पार्टी बीएमसी में शिवसेना के बाद सवार्धिक बड़ी पार्टी है और राजनीतिक परिदृश्य में हुए बदलाव के मद्देनजर उन्हें विपक्षी नेता बनाया जाए।
बीएमसी में विपक्षी नेता का पद अभी कांग्रेस के पास है।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली एक पीठ मंगलवार को इस दलील से सहमत नहीं हुई कि महा विकास अघाड़ी में शिवसेना और राकांपा के साथ शामिल तथा महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा कांग्रेस नैतिकता और नियमों के खिलाफ नगर निकाय में विपक्ष के नेता का पद नहीं रख सकती।
शिंदे ने बंबई उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ शीर्ष न्यायालय का रुख किया था, जिसके तहत विपक्षी नेता के पद पर उनके दावे को खारिज कर दिया गया था। हालांकि, शीर्ष न्यायालय की पीठ 21 जनवरी को उनकी अपील की पड़ताल करने को सहमत हुई थी।
पीठ ने कहा, ‘‘हम ऐसा कोई मामला नहीं जानते जहां कानूनी अधिकार आपके संबंधों में बदलाव पर निर्भर करता हो। (राजनीतिक) संबंध आपके कानूनी अधिकार को प्रभावित नहीं कर सकते हैं। ’’
पीठ में न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यन भी शामिल थे।
पीठ ने कहा, ‘‘यह असंभव नहीं है कि विधानसभा में एक पार्टी दूसरी पार्टी का समर्थन करे और नगर निकाय में उसका विरोध करे।’’
न्यायालय ने यह भी कहा कि भाजपा और शिवसेना के बीच संबंध फिर से बदल सकते हैं और कानूनी अधिकार इस पर निर्भर नहीं हो सकता।
बीएमसी में शिवसेना के 84, भाजपा के 82 और कांग्रेस के 31 सदस्य हैं।
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