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Coronavirus: संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक विशेषज्ञों ने भारत के राहत पैकेज को सराहा, पढ़ें क्या कहा

By भाषा | Updated: May 15, 2020 05:50 IST

विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव से अर्थव्यवस्था को बचाने के लिये यह अभी तक किसी भी विकासशील देश द्वारा घोषित सबसे बड़ा आर्थिक राहत पैकेज है।

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ठळक मुद्देसंयुक्त राष्ट्र के शीर्ष विशेषज्ञों ने भारत के 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की सराहना की है और इसे "प्रभावशाली" बताया है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव से अर्थव्यवस्था को बचाने के लिये यह अभी तक किसी भी विकासशील देश द्वारा घोषित सबसे बड़ा आर्थिक राहत पैकेज है।

संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष विशेषज्ञों ने भारत के 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की सराहना की है और इसे "प्रभावशाली" बताया है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव से अर्थव्यवस्था को बचाने के लिये यह अभी तक किसी भी विकासशील देश द्वारा घोषित सबसे बड़ा आर्थिक राहत पैकेज है।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले किये जा चुके उपायों के बाद मंगलवार को नये आर्थिक राहत पैकेज की घोषणा की। उन्होंने पहले घोषित प्रोत्साहनों को मिलाकर कुल मिलाकर 20 लाख करोड़ रुपये (260 अरब डॉलर) के पैकेज की घोषणा की।

वैश्विक आर्थिक निगरानी शाखा के प्रमुख हामिद रशीद ने बुधवार को विश्व आर्थिक स्थिति एवं संभावनाएं रिपोर्ट जारी करते हुए एक सवाल के जवाब में संवाददातओं से कहा कि भारत सरकार द्वारा मंगलवार को घोषित किया गया प्रोत्साहन पैकेज "बहुत ही स्वागत योग्य कदम है।"

उन्होंने कहा कि 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज, जो कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 10 प्रतिशत है, “विकासशील देशों में अब तक का सबसे बड़ा” है, क्योंकि अधिकांश विकासशील देश जो प्रोत्साहन पैकेज जारी कर रहे हैं, वे उनकी जीडीपी के 0.5 प्रतिशत से एक प्रतिशत के बीच हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत का प्रोत्साहन पैकेज बहुत बड़ा है। भारत के पास घरेलू वित्तीय बाजार है और उस बड़े प्रोत्साहन पैकेज को लागू करने की बड़ी क्षमता भी है।” उन्होंने कहा कि पैकेज का प्रभाव प्रोत्साहन उपायों के डिजाइन पर निर्भर करेगा।

भारत द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज में लॉकडाउन से पस्त अर्थव्यवस्था को बचाने के लिये पहले किये जा चुके उपाय भी शामिल हैं। इसमें छोटे व्यवसायों के लिये कर राहत के साथ-साथ घरेलू विनिर्माण के लिये प्रोत्साहन पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

संयुक्त पैकेज जीडीपी का लगभग 10 प्रतिशत हो जाता है, जो अमेरिका और जापान के बाद अभी तक का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा पैकेज है। अमेरिका ने जीडीपी के 13 प्रतिशत और जापान ने जीडीपी के 21 प्रतिशत के बराबर पैकेज दिये हैं।

आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के विभाग के आर्थिक विश्लेषण एवं नीति खंड के सहयोगी अधिकारी (आर्थिक मामले) जुलियन स्लॉटमैन ने पीटीआई-भाषा से एक साक्षात्कार में कहा कि भारत के प्रोत्साहन पैकेज का आकार "प्रभावशाली" है और ऐसा लगता है कि यह परिमाण के हिसाब से बाजार को पुन: आश्वस्त कर सकेगा तथा घरेलू खपत को बढ़ावा देने में मदद करेगा।

हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि जब लोग खर्च करने में सक्षम नहीं होते हैं, तब आप अचानक जादुई तरीके से आर्थिक वृद्धि के लौट आने की उम्मीद नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या काफी कम रहते ही सख्ती से लॉकडाउन लागू करने के लिये भारत सरकार की सराहना की।

उन्होंने कहा कि एक ऐसा समय आ सकता है जब सख्ती में ढील देना अपरिहार्य हो जायेगा, लेकिन ऐसा करने से देश में संक्रमण के मामले बढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘सौभाग्य से भारत में केंद्र सरकार ने ऐसे समय में राष्ट्रीय लॉकडाउन को लागू करने का निर्णायक काम किया, जब वायरस के संक्रमण के मामलों की संख्या अपेक्षाकृत कम थी और ऐसा लगता है कि बीमारी का प्रसार कुछ हद तक धीमा हो गया है।’’ 

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