Coronavirus Taja News: कोरोना पर एक्शन में PM मोदी, पाकिस्तान समेत सभी सार्क देश के प्रमुखों के सामने रखा वीडियो चैट से बातचीत का प्रस्ताव
By अनुराग आनंद | Published: March 13, 2020 02:40 PM2020-03-13T14:40:22+5:302020-03-13T14:40:22+5:30
कोरोना वायरस पर त्वरित कार्रवाई करने के फैसले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्क देश के नेताओं को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है।
चीन समेत दुनिया भर में जानलेवा कोरोना वायरस का कहर जारी है। चीन के बाद अब इटली इस वायरस की वजह से सबसे अधिक प्रभावित होने वाला देश बन गया है। भारत में भी अबतक कोरोना वायरस के संक्रमण के 75 केस सामने आए हैं।
इसी बीच परिस्थितियों को देखते हुए त्वरित कार्रवाई करने के फैसले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इमरान खान समेत सभी सार्क देश के नेताओं को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। कोरोना वायरस के कारण दुनिया के सामने पैदा हुई भयावह समस्या पर भी पीएम नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय एकजुटता सुनिश्चित करने की दिशा में अनोखा प्रस्ताव रखकर एक मिसाल पेश कर दी है।
पीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी वर्ल्ड लीडर की छवि के मुताबिक, दक्षिण एशियाई देशों के संगठन दक्षेस (सार्क) में शामिल देशों से आह्वान किया है कि सभी आठ राष्ट्राध्यक्ष विडियो कॉन्फ्रेसिंग से जुड़कर कोरोना के खिलाफ साझी लड़ाई पर चर्चा करें। सार्क संगठन में भारत के अलावा पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, श्रीलंका और नेपाल शामिल हैं।
I would like to propose that the leadership of SAARC nations chalk out a strong strategy to fight Coronavirus.
— Narendra Modi (@narendramodi) March 13, 2020
We could discuss, via video conferencing, ways to keep our citizens healthy.
Together, we can set an example to the world, and contribute to a healthier planet.
बता दें कि इटली में अब तक कोरोना वायरस संक्रमण के कुल 7,900 मामले सामने आए हैं। जबकि इससे मरने वालों की संख्या 463 हो गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि दुनिया में अब तक नोवेल कोरोना वायरस निमोनिया के 1 लाख से अधिक मामलों की पुष्टि की गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन इस बिमारी को दुनिया भर के देशों के लिए महामारी घोषित कर दी है।
इसी बीच चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवतक्ता ने ट्वीट कर कहा है कि इस बिमारी को फैलाने में अमेरिका की जिम्मेदारी हो सकती है।
बता दें कि चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने ट्वीट कर कहा कि वुहान में कोरोना वायरस फैलाने के लिए अमेरिकी सेना जिम्मेदार हो सकती है। अमेरिका को इस मामले में अपनी जिम्मेदारियां तय करनी होंगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अमेरिका को इस मामले में पारदर्शिता अपनाते हुए सूचना सार्वजनिक करना चाहिए।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अमेरिका को यह बताना चाहिए कि पहला इस बिमारी से पीड़ित व्यक्ति कब उनके देश में मिला था। इसके साथ ही एक सैन्य कार्यक्रम के दौरान चीन आए अमेरिकी सैनिकों द्वारा इस बिमारी के फैलने की आशंका उन्होंने जताई है।
झाओ लिजियान से पहले भी एक चीनी अधिकारी ने बिमारी के लिए अमेरिका को बताया जिम्मेदार-
इससे पहले चीन के एक अधिकारी ने गुरुवार को आरोप लगाया कि संभवत: अमेरिेकी सेना ही कोरोना वायरस वुहान लेकर आयी है। दुनिया भर में इस जानलेवा वायरस के तेजी से होते प्रसार की पृष्ठभूमि में दोनों देशों के बीच जारी वाक् युद्ध के दौरान यह बयान आया है।
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने गुरुवार को अपनी खबर में लिखा कि सूचनाओं के अनुसार, अमेरिकी रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केन्द्र (सीडीसी) के निदेशक रॉबर्ट रेडफिल्ड ने यह माना है कि फ्लू के कुछ मरीजों की पहचान में संभवत: गलती हुई है और वे कोरोना वायरस से ग्रस्त थे।
खबर में कहा गया है, यह जानलेवा वायरस अमेरिका में फैलता जा रहा है लेकिन अमेरिकी सरकार की प्रतिक्रिया में खामियों के संकेत दिख रहे हैं, इसमें महामारी से जुड़ी सूचनाओं को छुपाने का प्रयास, सामान्य फ्लू और कोरोना वायरस में फर्क नहीं कर पाने में संभावित असफलता, नस्लवाद से प्रेरित बयानों के साथ दूसरों पर दोष मढ़ने की कोशिश है।
रेडफिल्ड की टिप्पणियों का हवाला देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ताओं में से एक जाओ लिजिआन ने आरोप लगाया कि संभवत: अमेरिकी सेना ही कोविड-19 को वुहान लेकर आयी है। चीन में इस वायरस के संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित हुबेई प्रांत का वुहान शहर ही है। हालांकि उन्होंने अमेरिकी सेना के खिलाफ अपने आरोपों पर विस्तार से कुछ नहीं कहा।