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कोरोना संकटः रेलवे 10 दिनों में 10 लाख फंसे मजदूरों की कराएगा घर वापसी, आजादी के बाद रेलवे का अपनी तरह का सबसे बड़ा अभियान

By हरीश गुप्ता | Updated: May 4, 2020 09:30 IST

सबसे ज्यादा फंसे लोग गुजरात (20 लाख), उसके बाद महाराष्ट्र, दिल्ली, तेलंगाना कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और अन्य में हैं. अनुमान है कि रेलवे करीब 1000-1200 विशेष श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनें चलाएगा.

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ठळक मुद्देरेलवे आजादी के बाद के इतिहास में अपने सबसे बड़े अभियानों में से एक के तहत 10 लाख से अधिक फंसे मजदूरों को निकालने के लिए कमर कस रहा है. राज्यों की ओर से युद्धस्तर पर जुटाए जा रहे डाटा के अनुसार फंसे मजदूरों, छात्रों, तीर्थयात्रियों और पर्यटकों की संख्या करीब 40 लाख बताई गई है.

नई दिल्लीः रेलवे आजादी के बाद के इतिहास में अपने सबसे बड़े अभियानों में से एक के तहत 10 लाख से अधिक फंसे मजदूरों को निकालने के लिए कमर कस रहा है. राज्यों की ओर से युद्धस्तर पर जुटाए जा रहे डाटा के अनुसार फंसे मजदूरों, छात्रों, तीर्थयात्रियों और पर्यटकों की संख्या करीब 40 लाख बताई गई है. हालांकि, रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर 'लोकमत समाचार' को बताया, ''हमें उनमें से 10 लाख लोगों को ढोने की संभावना है. 20 बोगियों वाली एक ट्रेन सामाजिक दूरी को ध्यान में रखते हुए 1050 यात्रियों को ले जा सकती है.''उन्होंने उम्मीद जताई कि 17 मई को समाप्त हो रहे लॉकडाउन से पहले यह कवायद पूरी होगी. यह सामने आया है कि सबसे ज्यादा फंसे लोग गुजरात (20 लाख), उसके बाद महाराष्ट्र, दिल्ली, तेलंगाना कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और अन्य में हैं. अनुमान है कि रेलवे करीब 1000-1200 विशेष श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनें चलाएगा. अन्य फंसे लोग उनकी राज्य सरकारों की ओर से संचालित चार्टर्ड बसों के माध्यम से निकलेंगे.राज्यों से सामने आ रहीं सूचनाओं के मुताबिक, ऐसे फंसे हुए लोगों में से 20-22 लाख लोग बिहार जबकि 7-8 लाख उत्तर प्रदेश जाना चाहते हैं. यह ऐसी कवायद होगी जिसे दोनों राज्यों ने पहले कभी नहीं देखा है. यह कुंभ मेले या छठ पूजा जैसे धार्मिक त्योहारों से पूरी तरह से अलग है, जिनके लिए पहले ही व्यवस्था की जाती है.

सबसे बड़ी चुनौती बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने है जो हमेशा प्रवासियों को राज्य में लाने पर असहमत थे. केंद्र के प्रवासियों को ले जाने की सहमति के बाद उनके पास अब कोई विकल्प नहीं बचा है. अब उन्हें दूसरे राज्यों में फंसे इन लाखों लोगों को 14 दिनों तक क्वारंटाइन रखना होगा. साथ ही बड़े पैमाने पर परीक्षण भी करने पड़ सकते हैं.  

राज्यों को चुकाना होगा किराया  

राज्यों पर एक बोझ यह भी है कि रेलवे यात्रियों को ढोने के लिए उनसे शुल्क ले रहा है. रेलवे के एक सर्कुलर की कॉपी स्पष्ट कहती है कि राज्य टिकटों को यात्रियों को देंगे और उनसे किराया वसूलकर रेलवे को सौंपे देंगे.

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