गैरसैंण, पांच मार्च उत्तराखंड में गन्ना किसानों की समस्याओं को लेकर कांग्रेस विधायकों ने शुक्रवार को विधानसभा भवन के बाहर धरना दिया तथा उसके बाद इस मसले पर राज्य सरकार से संतोषजनक जवाब नहीं मिलने का आरोप लगाते हुए सदन से बहिर्गमन किया।
सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले कांग्रेस विधायक काजी निजामुद्दीन, प्रीतम सिंह, ममता राकेश, हरीश धामी, गोविंद सिंह कुंजवाल और राजकुमार हाथों में गन्ना पकड़े विधानसभा पहुंचे और प्रवेश द्वार पर धरना दिया।
कांग्रेस सदस्य काजी निजामुद्दीन ने आरोप लगाया कि सरकार ने किसानों का गन्ना मूल्य पिछले चार साल से नहीं बढाया है जिससे उनकी दिक्कतें बढती जा रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘'किसान अपनी लड़कियों की शादी नहीं कर पा रहे हैं, अपने बच्चों की फीस नहीं भर पा रहे हैं।’’
बाद में सदन में शून्यकाल के दौरान इस मामले को उठाते हुए निजामुद्दीन रूआंसे हो गए और कहा, ‘‘राज्य के विकास में गन्ना किसानों का महत्वपूर्ण योगदान है और उनकी समस्याओं का निराकरण प्राथमिकता के आधार पर होना चाहिए।’’
निजामुद्दीन की चिंता को वाजिब बताते हुए नेता प्रतिपक्ष डॉ इंदिरा हृदयेश ने कहा कि गन्ना नकदी फसल होने के बावजूद समय पर नकदी ना मिलने से लोग इससे दूर होते जा रहे हैं।
उन्होंने दिवंगत एनडी तिवारी के कार्यकाल का हवाला देते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में गन्ने का मूल्य गन्ने के तैयार होने से पहले ही तय कर लिया जाता था और हमेशा पिछली बार से बढाकर दिया जाता था।
इंदिरा ने कहा कि सरकार को किसानों की समस्याओं के प्रति ज्यादा संवेदनशील होना चाहिए।
सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक ने जबाव देते हुए कहा कि सरकार कृषकों के प्रति संवेदनशील है और गन्ना कृषकों के लिए 245 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया गया है।
उन्होंने कहा कि राज्य में गन्ना कृषकों का पिछला समस्त भुगतान कर दिया गया है। उत्तराखंड न केवल देश के उन पांच राज्यों में शामिल है जो हर साल गन्ना मूल्य घोषित करते हैं बल्कि सबसे ज्यादा मूल्य देने वाला राज्य भी है।
लेकिन, मंत्री के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस विधायकों ने सदन से बहिर्गमन किया।
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