कांग्रेस ने सोमवार (23 अप्रैल) को कहा है कि वो राज्य सभा के सभापति और उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की नोटिस खारिज किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी। उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने सोमवार (23 अप्रैल) को कांग्रेस समेत सात राजनीतिक दलों द्वारा दी गयी नोटिस को "पात्रता के अभाव" के आधार पर निरस्त कर दिया। 20 अप्रैल को राज्य सभा सभापति को पास भेजी गयी इस महाभियोग नोटिस पर 64 राज्य सभा सांसदों के दस्तखत थे। उप-राष्ट्रपति महाभियोग प्रस्ताव की नोटिस देने के बाद पत्रकार वार्ता करने को भी नियमों का उल्लंघन बताया।
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने सोमवार को मीडिया से कहा कि राज्य सभा के सभापति वेंकैया नायडू ने जजेज इन्कवायरी एक्ट के तहत जांच कराए बिना ही आरोपों को निराधार ठहराकर कानून को उल्लंघन किया है। कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि उनकी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला करेगी उसे उनकी पार्टी स्वीकार करेगी।
उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने महाभियोग प्रस्ताव खारिज करते हुए कहा था, "महाभियोग प्रस्ताव के तहत लगाए गए सभी पाँच अभियोगों पर मैंने विचार किया और उसके साथ संलग्न दस्तावेज का अध्ययन किया। महाभियोग प्रस्ताव में लगाए गए आरोप इस योग्य नहीं हैं कि उनसे ये निर्णय लिया जाए कि भारत के मुख्य न्यायाधीश को खिलाफ कदाचार का दोषी ठहराया जा सके।"
महाभियोग प्रस्ताव: भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर कांग्रेस ने लगाए हैं ये पाँच आरोप
न्यायाधीश के खिलाफ पहले भी लाए गए महाभियोग प्रस्ताव, तब कांग्रेस ने किया था विरोध
जिन 71 सांसदों के महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर हैं उनमें से सात रिटायर हो चुके हैं। महाभियोग प्रस्ताव में कांग्रेस ने भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर पाँच आरोप लगाए थे। महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वाले सांसदों में कांग्रेस, राकांपा, माकपा, भाकपा, सपा, बसपा और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के सदस्य शामिल हैं।
कांग्रेस के अंदर इस महाभियोग प्रस्ताव को लेकर मतभेद नजर आया है। कांग्रेसी नेता और देश के पूर्व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने इस फैसले को दुखद बताते हुए मीडिया से कहा कि उनसे इस पर राय नहीं ली गयी थी। वहीं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और देश के पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने भी इस फैसले पर पार्टी से मतभेद जाहिर किया है। कांग्रेस के महाभियोग प्रस्ताव पर पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के दस्तखत नहीं थे। कपिल सिब्बल ने इस बारे में मीडिया से सफायी देते हुए कहा कि दोनों नेताओं से महाभियोग के प्रस्ताव पर दस्तखत करने के लिए पूछा ही नहीं गया था।