महाभियोग प्रस्ताव: भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर कांग्रेस ने लगाए हैं ये पाँच आरोप
By खबरीलाल जनार्दन | Published: April 20, 2018 04:23 PM2018-04-20T16:23:27+5:302018-04-20T16:30:59+5:30
कांग्रेस समेत सात विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ राज्य सभा में महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं।
शुक्रवार (20 अप्रैल) कांग्रेस ने देश के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग लाने का प्रस्ताव उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू को दिया। ये महाभियोग प्रस्ताव पर राज्य सभा में लाया जाएगा। इस प्रस्ताव पर 64 वर्तमान राज्य सभा सांसदों के हस्ताक्षर हैं। राज्य सभा में किसी न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए उच्च सदन के 50 सांसदों के दस्तखत की जरूरत होती है। कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल व गुलाम नबी आजाद ने मीडिया को बताया कि महाभियोग प्रस्ताव में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा पर पांच आरोप लगाए गए हैं। उपराष्ट्रपति को सौंपे गए महाभियोग नोटिस पर कांग्रेस, राकांपा, माकपा, भाकपा , सपा , बसपा और मुस्लिम लीग इत्यादि पार्टियों के हस्ताक्षर हैं।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा पर लगे आरोप-
प्रधान न्यायाधीश पर महाभियोग प्रस्ताव रखने की जानकारी देते हुए कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'हमने कदाचार के पांच आधार पर भारत के प्रधान न्यायाधीश को हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव रखा है।' वे कदाचार के आरोप इस तरह हैं-
1- जमीन अधिग्रहण करना, फर्जी एफिडेविट लगाना और सुप्रीम कोर्ट के जज बनने के बाद साल 2013 में जमीन सरेंडर करना।
2- जज बीएच लोया और प्रसाद इंस्टिट्यूट मामलों में हुए फैसलों में सीजेआई की निष्पक्षता को लेकर विवाद हुए। जबकि चीफ जस्टिस को लेकर ऐसा नहीं होना चाहिए।
3- सीजेआई के प्रशासनिक फैसलों पर आमजन में खासी नाराजगी। सीजेआई पर न्यायिक दस्तावेज की तारीख बदलने का आरोप है जो गंभीर अपराध है।
4- इस साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट चार जजों की मीडिया में आकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करना। सीजेआई के ठीक बाद सबसे वरिष्ठ इन चार जजों का यह कहना कि सुप्रीम कोर्ट में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।
5- अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने संवैधानिक आदर्शों का उल्लंघन किया।
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इन आरोपों के बाबत वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल का कहना है कि इन पांचों आरोपों की जांच की गई है। सिब्बल ने कहा, ' हमने अपनी 3 सदस्यीय समिति से इन आरोपों की जांच कराई। जब हम इन आरोपों पर पुख्ता हुए तब हम महाभियोग के लिए आगे बढ़े। हम कभी नहीं चाहते थे कि हमें यह दिन कभी देखना पड़े। कपिल सिब्बल के अनुसार, हमने जो पांच आरोप लगाए हैं, मुझे नहीं लगता इन्हें नजरंदाज किया जाना चाहिए। सीजेआई जिस तरह से कुछ खास मुकदमों का निपटारा कर रहे हैं और उन पर सवाल उठ रहे हैं वह देश के लिए अच्छा नहीं है। उनके अपने अधिकारों के प्रयोग पर सवाल उठ रहे हैं, ऐसे आरोपों को खारिज नहीं किया जा सकता।