पटनाः केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के संरक्शक जीतन राम मांझी ने बिहार में शराबबंदी कानून को लेकर एक बार फिर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने मांग की है कि शराब पीने को लेकर पकड़े गए लोगों या जिन पर मुकदमा दर्ज हुआ है, उन्हें सरकार माफ कर दे। मांझी ने कहा कि पुलिस माफियाओं के बजाय छोटे-मोटे उपभोक्ताओं को निशाना बना रही है, जो गलत है। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले सरकार को उन लोगों के लिए माफी की घोषणा करनी चाहिए, जो थोड़ा-बहुत शराब पीने के कारण पकड़े गए या जिन पर मुकदमा दर्ज हुआ है।
जीतन राम मांझी ने कहा कि पुलिस अपना पाप छुपाने के लिए माफियाओं को छोड़कर छोटे पीने वालों को पकड़ रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि शराबबंदी की तीसरी समीक्षा में यह स्पष्ट है कि शराब पीने या ले जाने वालों को नहीं पकड़ा जाना चाहिए। इसके बजाय, हजारों लीटर शराब बनाने और तस्करी करने वाले माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
मांझी ने कहा कि हम शराबबंदी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इसका गलत तरीके से लागू होना चिंता का विषय है। पुलिस को माफियाओं पर नकेल कसनी चाहिए, न कि गरीब और सामान्य लोगों को परेशान करना चाहिए। बता दें कि जीतन राम मांझी का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं।
मांझी ने पहले भी शराबबंदी की समीक्षा की मांग की थी और दावा किया था कि इस कानून के कारण करीब 4-5 लाख गरीब लोग जेल गए हैं। उनके इस ताजा बयान ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। उल्लेखनीय है कि 2022 में हुई समीक्षा के बाद कानून में कुछ ढील दी गई थी, जिसमें शराब पीने वालों के लिए जुर्माने का प्रावधान जोड़ा गया था।
हालांकि बिहार में शराबबंदी के बावजूद अवैध शराब की तस्करी और जहरीली शराब से होने वाली मौतों की खबरें सामने आती रहती हैं। सीवान, छपरा और गोपालगंज जैसे जिलों में हाल के वर्षों में जहरीली शराब से सैकड़ों लोगों की जान गई है। मांझी ने पहले भी दावा किया था कि “सफेदपोश लोग रात में शराब पीते हैं, लेकिन उन्हें कोई नहीं पकड़ता, जबकि गरीबों को जेल भेजा जाता है।