सीएम ममता बनर्जी ने मुझे हर मौके पर अपमानित किया, अपने पद का अनादर किया: राज्यपाल धनखड़
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 29, 2019 06:38 PM2019-11-29T18:38:49+5:302019-11-29T20:37:09+5:30
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने पश्चिम बंगाल विधानसभा के विशेष सत्र में अन्य गणमान्य व्यक्तियों के बाद उन्हें संबोधन के लिए आमंत्रित कर प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी की आलोचना की।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और सीएम ममता बनर्जी के बाज वाकयुद्ध जारी है। राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि ममता बनर्जी को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए और आगे का रास्ता तलाशना चाहिए। धनखड़ ने कहा कि राज्य सरकार के साथ कामकाजी संबंधों में सुधार होना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि सीएम ममता बनर्जी ने मुझे हर मौके पर अपमानित किया, अपने पद का अनादर किया।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह हर मौके पर उनका अपमान कर रही हैं और उन्हें नियमित रूप से सरकारी फैसलों की जानकारी नहीं दी जा रही।
धनखड़ ने कहा कि इससे उनका ही कद "छोटा" होगा। उन्होंने कहा कि मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं और उन्हें आत्ममंथन कर आगे का रास्ता तलाशना चाहिए। राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष बीमान बोस पर आरोप लगाया कि उन्होंने 26 नवंबर को संविधान दिवस के मौके पर आयोजित विशेष सत्र के दौरान अन्य गणमान्य व्यक्तियों के बाद संबोधन के लिये उन्हें बुलाकर "प्रोटोकॉल का उल्लंघन" किया। धनखड़ ने कहा, "क्या आपने भारत के किसी राज्य में कभी देखा है कि राज्यपाल को संबोधन के लिये पांचवें नंबर पर बुलाया जाए।
मुझसे पहले पूर्व राज्यपाल (एम के नारायणन), लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष (मीरा कुमार) और चुनाव आयोग के पूर्व आयुक्त (एस वाई कुरैशी) को बुलाया गया।" उन्होंने कहा, "यह प्रोटोकॉल का घोर उल्लंघन है। इस अपमान से बहुत दुखी हूं। उस दिन के महत्व को ध्यान में रखते हुए मैं वहां पहुंचा...उनका आचरण काफी असंतोषजनक है।"
धनखड़ ने ममता बनर्जी पर हमले जारी रखते हुए कहा कि संवैधानिक प्रक्रिया के तहत मुख्यमंत्री को सरकार के फैसलों के बारे में राज्यपाल को जानकारी देनी होती है, लेकिन बनर्जी ने एक बार भी ऐसा नहीं किया। उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री के तौर पर राज्यपाल को जानकारी देना उनका संवैधानिक कर्तव्य है।"
राज्यपाल ने कहा, "बुलबुल चक्रवात के बाद मैंने उन्हें पत्र लिखकर जानकारी देने के लिये कहा। लेकिन सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह थी कि प्रधान गृह सचिव ने उन्हें इसके बारे में जानकारी दी। मैं इस तरह के आचरण पर आपत्ति जताता हूं। मुख्यमंत्री से मेरे संवाद का जवाब केवल उनके द्वारा ही दिया जाना चाहिये, किसी और के जरिये नहीं।"