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पुलिस-वकीलों में झड़पः सुप्रीम कोर्ट ने कहा- दोनों ही ओर से समस्या थी, कई बार खामोशी बेहतर होती है

By भाषा | Updated: November 8, 2019 20:14 IST

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब बार काउन्सिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि तीस हजारी अदालत में वकीलों के प्रति पुलिस की ‘बर्बरता’ के बाद हालात ज्यादा खराब हो गये।

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ठळक मुद्देपीठ का कहना था कि वकीलों द्वारा काम से अनुपस्थित रहने की तापमान 45 डिग्री हो जाने जैसी अनेक वजह होती है। घटना के बाद से दिल्ली की सभी छह जिला अदालतों में वकील काम का बहिष्कार कर रहे हैं।

उच्चतम न्यायालय ने पुलिस और वकीलों के बीच हुयी झड़प के संदर्भ में शुक्रवार को कहा कि दोनों ही ओर से समस्या थी और दिल्ली की एक अदालत में पिछले सप्ताह हुये टकराव के विरोध में वकीलों की हड़ताल ऐसी घटनाओं से निबटने का हल नहीं है।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब बार काउन्सिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि तीस हजारी अदालत में वकीलों के प्रति पुलिस की ‘बर्बरता’ के बाद हालात ज्यादा खराब हो गये।

शीर्ष अदालत वकीलों की हड़ताल की आलोचना कर रही थी क्योंकि इससे उच्च न्यायालयों और निचली अदालतों में न्यायिक कार्य प्रभावित हो रहा है। पीठ का कहना था कि वकीलों द्वारा काम से अनुपस्थित रहने की तापमान 45 डिग्री हो जाने जैसी अनेक वजह होती है।

तीस हजारी अदालत परिसर में पिछले सप्ताह ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी और वकील के बीच पार्किंग को लेकर हुआ विवाद दोनों पक्षों के बीच झड़प में बदल गया जिसमे 20 सुरक्षाकर्मी और अनेक वकील जख्मी हो गये। इस घटना के बाद से दिल्ली की सभी छह जिला अदालतों में वकील काम का बहिष्कार कर रहे हैं।

शीर्ष अदालत ने कहा कि वकीलों की हड़ताल इस तरह की घटनाओं से निबटने का समाधान नहीं है और इसके लिये दूसरे कानूनी उपाय भी उपलब्ध हैं। बार काउन्सिल ऑफ इंडिया ने शीर्ष अदालत को भरोसा दिलाया कि दिल्ली की जिला अदालतों में एक दो दिन में स्थिति सामान्य हो जायेगी।

पीठ न्यायाधीशों की नियुक्तियों के मुद्दे पर उड़ीसा उच्च न्यायालय और निचली अदालतों के वकीलों की हड़ताल से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी। पीठ ने अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल, बार काउन्सिल ऑफ इंडिया, उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन और बार काउन्सिल ऑफ ओडिशा से इस मामले में सहयोग मांगा है।

शीर्ष अदात ने उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के बारे में कॉलेजियम की सिफारिशें स्वीकार करने में होने वाले विलंब पर भी चिंता व्यक्त की और अटार्नी जनरल से कहा कि वकीलों की एक शिकायत यह भी है जो अक्सर आन्दोलन और हड़ताल का रूप ले लेती है।

न्यायालय ने कहा कि कॉलेजियम की सिफारिशों को मंजूरी देने के लिये एक समय सीमा निर्धारित की जानी चाहिए। शीर्ष अदालत का विचार था कि उच्च न्यायालयों को भी अपने यहां वास्तविक रिक्ति होने से छह महीने पहले ही इसके लिये नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिए।

अटार्नी जनरल ने कहा कि बेहतर हो यदि शीर्ष अदालत की कॉलेजियम कानून मंत्रालय के साथ सलाह मशविरे से उचित दिशानिर्देश तैयार करे ताकि उच्च न्यायालयो में नियुक्तियों में विलंब को टाला जा सके। न्यायालय ने इस मामले को अब छह दिसंबर को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध किया है। साथ ही मनन मिश्रा से कहा है कि वह देश की तमाम अदालतों में वकीलों की हड़ताल की स्थिति से उसे अवगत करायें। 

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