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सीजेआई ने कानून के शासन पर जोर देने वाली संस्थाओं के निर्माण पर दिया जोर, कहा- सार्वभौमिक सम्मान सुनिश्चित करना जरूरी

By विशाल कुमार | Updated: March 20, 2022 07:31 IST

सीजेआई ने दुबई में ग्लोबलाइजेशन के युग में मध्यस्थता पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के चौथे संस्करण में अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि सही अर्थों में ग्लोबलाइजेशन को हासिल करने की पूर्व निर्धारित शर्त है कि कानून के शासन के लिए सार्वभौमिक सम्मान सुनिश्चित किया जाए।

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ठळक मुद्देसीजेआई ने कहा कि केवल कानून के शासन वाली संस्थाएं ही ग्लोबलाइज्ड दुनिया में विश्वास पैदा कर सकती हैं।आप भारतीय न्यायपालिका पर पूर्ण स्वतंत्रता और समान व्यवहार करने के लिए भरोसा कर सकते हैं।सीजेआई ने कहा कि भारत में अदालतें अपने मध्यस्थता रुख के लिए जानी जाती हैं।

नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमना ने शनिवार को कानून के शासन पर जोर देने वाले संस्थानों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि केवल वे ही ग्लोबलाइज्ड दुनिया में विश्वास पैदा कर सकते हैं।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सीजेआई ने दुबई में ग्लोबलाइजेशन के युग में मध्यस्थता पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के चौथे संस्करण में अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि सही अर्थों में ग्लोबलाइजेशन को हासिल करने की पूर्व निर्धारित शर्त है कि कानून के शासन के लिए सार्वभौमिक सम्मान सुनिश्चित किया जाए।

उन्होंने कहा कि ग्लोबलाइज्ड दुनिया में विश्वास केवल कानून के शासन पर जोर देने वाली संस्थाओं का निर्माण करके ही बनाया जा सकता है।

सीजेआई ने कहा कि मैं जहां भी यात्रा करता हूं, मुझसे अक्सर पूछा जाता है कि भारतीय न्यायिक प्रणाली निवेशकों के अनुकूल कैसे है। मेरा जवाब हमेशा एक ही होता है, आप भारतीय न्यायपालिका पर उसकी पूर्ण स्वतंत्रता और समान व्यवहार करने की उसकी अंतर्निहित संवैधानिक ताकत के लिए भरोसा कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि मध्यस्थता और कानून का शासन एक दूसरे के विरोध में नहीं हैं क्योंकि दोनों का उद्देश्य न्याय की खोज करना है।

सीजेआई ने कहा कि भारत में अदालतें अपने मध्यस्थता रुख के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने कहा कि सभी स्तरों पर भारत की विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका, देश में मध्यस्थता परिदृश्य और व्यापार करने में आसानी में सुधार के लिए प्रतिबद्ध हैं।

टॅग्स :एन वेंकट रमणCJIसुप्रीम कोर्ट
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