CEC ने किया साफ- एक साथ नहीं होंगे लोक सभा और विधान सभा चुनाव, पीएम मोदी और अमित शाह ने की थी वकालत

By भाषा | Updated: August 23, 2018 20:05 IST2018-08-23T20:05:03+5:302018-08-23T20:05:43+5:30

मिजोरम विधानसभा का कार्यकाल 15 दिसंबर को समाप्त हो रहा है जबकि छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश तथा राजस्थान विधानसभाओं का कार्यकाल क्रमश: पांच जनवरी, सात जनवरी और 20 जनवरी, 2019 को पूरा होगा।

cic said no to concurrent general election and state election though modi and shah has voiced support | CEC ने किया साफ- एक साथ नहीं होंगे लोक सभा और विधान सभा चुनाव, पीएम मोदी और अमित शाह ने की थी वकालत

narendra modi and amit shah

औरंगाबाद, 23 अगस्त (भाषा) सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ओ पी रावत ने निकट भविष्य में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की संभावना से आज साफ इंकार किया।

रावत ने कहा कि दोनों चुनाव एक साथ कराने के लिए कानूनी ढांचा स्थापित किए जाने की जरूरत है।

हाल के दिनों में ऐसी अटकलें थीं कि इस साल मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम में निर्धारित विधानसभा चुनावों को टाला जा सकता है तथा उन्हें अगले साल मई-जून में लोकसभा चुनावों के साथ कराया जा सकता है।

मिजोरम विधानसभा का कार्यकाल 15 दिसंबर को समाप्त हो रहा है जबकि छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश तथा राजस्थान विधानसभाओं का कार्यकाल क्रमश: पांच जनवरी, सात जनवरी और 20 जनवरी, 2019 को पूरा होगा।

रावत ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘कोई संभावना नहीं।’’ उनसे सवाल किया गया था कि क्या लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराना संभव है।

उनकी टिप्पणी भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के उस हालिया बयान की पृष्ठभूमि में है जिसमें उन्होंने दोनों चुनाव एक साथ कराने के लिए सभी पक्षों के बीच ‘‘स्वस्थ और खुली बहस’’ का आह्वान किया था।

रावत ने कहा कि सांसदों को कानून बनाने के लिए कम से कम एक वर्ष लगेंगे। इस प्रक्रिया में समय लगता है। जैसे ही संविधान में संशोधन के लिए विधेयक तैयार होगा, हम (चुनाव आयोग) समझ जाएंगे कि चीजें अब आगे बढ़ रही हैं) 

रावत ने कहा कि चुनाव आयोग लोकसभा चुनाव की तैयारी मतदान की निर्धारित समयसीमा से 14 महीने पहले शुरू कर देता है।

उन्होंने कहा कि आयोग के पास सिर्फ 400 कर्मचारी हैं लेकिन 1.11 करोड़ लोगों को चुनाव ड्यूटी पर तैनात करता है।

ईवीएम मशीनों की ‘‘नाकामी’’ की शिकायतों से जुड़े एक प्रश्न पर रावत ने अफसोस जताया कि भारत के कई हिस्सों में ईवीएम प्रणाली के बारे में व्यापक समझ नहीं है।

उन्होंने कहा कि नाकामी की दर 0.5 से 0.6 प्रतिशत है और मशीनों की विफलता की ऐसी दर स्वीकार्य है।

उन्होंने कहा कि मेघालय विधानसभा उपचुनाव में आज वीवीपीएटी के खराब होने की शिकायतें आयीं लेकिन उनसे बचा जा सकता था,अगर अधिकारियों ने उच्च नमी कागज का इस्तेमाल किया होता। यह ध्यान रखना था कि राज्य में काफी बारिश होती है।

रावत ने कहा, " क्या आप जानते हैं कि चेरापूंजी में सबसे ज्यादा वर्षा होती है, उसी राज्य में है।" एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि चुनावों में नोटा विकल्प का प्रतिशत आमतौर पर 1.2 से 1.4 प्रतिशत के बीच होता है।

एक अन्य सवाल के जवाब में रावत ने कहा कि चुनाव आयोग को पूर्ण स्वायत्तता प्राप्त है और यह देखा जा सकता है कि पिछले साल गुजरात में राज्यसभा चुनाव के दौरान चुनाव अधिकारी राजनीतिक दबाव में नहीं झुके। 

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